तिरुवनंतपुरम, 13 नवंबर (आईएएनएस)। भारत में दुष्कर्म संबंधी मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। शुक्रवार को यहां जारी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2001 से 2014 के बीच दुष्कर्म के मामलों में दोगुनी वृद्धि हुई है।
दुष्कर्म मामलों पर जारी किया गया यह निष्कर्ष कोवलम में लैंगिक समानता पर हुए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में जारी किए गए ‘भारत में महिलाओं की स्थिति’ की बहुप्रतिक्षित रिपोर्ट का हिस्सा है।
भारत में साल 2001 से 2014 के बीच दर्ज किए गए दुष्कर्म मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। यह मामले 16,075 से बढ़कर 36,735 तक पहुंच गए हैं।
विवाहित महिलाओं के साथ क्रूरता के मामले इन सालों में 49,170 से बढ़कर 122,877 तक पहुंच गई।
भारत में महिलाओं की स्थिति पर गठित एक उच्च स्तरीय समिति ( एचएलसी) की अध्यक्ष पाम राजपूत ने कहा, “कम उम्र और अनाचार शादी के रूप में ‘घर’ महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का पहला अभयारण्य है।”
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में जारी रिपोर्ट पर प्रकाश डालते हुए राजपूत ने कहा, “इन रिपोर्टो के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक, कानूनी, राजनीतिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य और सामाजिक-सांस्कृतिक जरूरतों के समकालीन आकलन के आधार पर नीतिगत हस्तक्षेप की सिफारिश करने का प्रयास किया गया।”
इस रिपोर्ट से सामने आया है कि स्वास्थ्य के स्तर पर भारत 142 देशों की सूची में सबसे नीचे 141वें स्थान पर है।
संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के लिए आयोजित विश्व सम्मेलन की पूर्व संध्या पर 40 साल पहले भारत में महिलाओं की स्थिति पर आधारित पहली रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।
राजपूत ने भारत में सबसे खराब लैंगिक असमानता में सुधार के बारे में बात करते हुए कहा, “इस असमानता में केवल सामाजिक नीति के साथ व्यापक तौर पर आर्थिक नीति को एकीकृत कर सुधार किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा, “आर्थिक वृद्धि और शिक्षा के स्तर में विकास के बाद भी महिलाओं को स्वतंत्र रूप से अपनी इच्छाओं को जाहिर करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।”
समिति का मानना है कि लैंगिक स्तर पर दोबारा गौर करने की जरूरत है और इसमें महिलाओं और बच्चों के लिए अलग-अलग बजट होना चाहिए।