इसी तारतम्य में शालिनी गेरा मामले में गुरुवार को प्रेसवार्ता में खुलासा करते हुए बस्तर पुलिस महानिरीक्षक एसआरपी कल्लूरी ने कहा कि नक्सलियों का शहरी नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त किया जाएगा।
आईजी कल्लूरी ने बताया कि शालिनी गेरा सहित अन्य कुछ लोग आधार कार्ड बनाने के नाम पर पालनार व मटनार पंचायत भवन व स्कूल को बगैर किसी अनुमति के खुलवाते थे, उसके पश्चात ग्रामीणों के बीच नक्सली समर्थक बातें करते व सरकार के नोटबंदी का विरोध व सरकार विरोधी बैठकें आयोजित करते थे। इस बात की लिखित शिकायत विनोद पाण्डे ने पालनार थाने में की है।
बैठकें आयोजित करने के पश्चात शालिनी गेरा व उसकी टीम उसी दिन शाम को नक्सली कमांडर आयतू से मिलकर लगभग 10 लाख रुपये के पुराने नोटों को जगदलपुर लाकर एक धर्मशाला के कमरा नंबर 203 में रुके व इसके पश्चात 30 प्रतिशत कमीशन पर दो युवकों के माध्यम से जो की लाल रंग की पल्सर बाइक में आये थे, उनको दिया गया। आईजी ने बताया कि फिलहाल लिखित शिकायत के आधार पर खोजबीन व वैधानिक कार्यवाही की जा रही है, बहुत ही जल्द एफआईआर भी किया जाएगा व दोषियों पर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।
आईजी कल्लूरी ने मिशन 2016 की समीक्षा करते हुए कहा कि सरकार की नोटबंदी नीति से निश्चित ही नक्सलियों के पैर कट चुके हैं। अब तक हमारे द्वारा कुल 1 करोड़, 20 लाख, 25 हजार 900 रुपयों की रिकवरी की गई है। बकौल कल्लूरी मिशन 2017 की शुरुआत बहुत जल्द की जाएगी।
बस्तर पुलिस अधीक्षक आर.एन. दास ने बताया कि प्रतिवर्ष कुल 1100 करोड़ की वसूली ठेकेदारों, ग्रामीणों व अन्य संसाधनों से नक्सली करते हैं। इन पैसों को उनके एनजीओ व अन्य संस्थाएं जो कि दिल्ली, मुंबई व अन्य शहरों में चल रहे हैं उनमें प्रयोग किया जाता है। इन पैसों का कुछ हिस्सा नक्सली समर्थकों के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है।