वाशिंगटन, 17 मार्च (आईएएनएस)। रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ से अपने पसंदीदा मार्को रुबियो के हट जाने के बाद दक्षिण कारोलिना की भारतीय मूल की गवर्नर निकी हेली अब टेड क्रूज की समर्थक बन गई हैं। हेली उम्मीद कर रही हैं कि ‘ठोस एवं मजबूत ‘ क्रूज ही रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में आगे चल रहे डोनाल्ड ट्रंप को रोक पाएंगे।
वाशिंगटन, 17 मार्च (आईएएनएस)। रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ से अपने पसंदीदा मार्को रुबियो के हट जाने के बाद दक्षिण कारोलिना की भारतीय मूल की गवर्नर निकी हेली अब टेड क्रूज की समर्थक बन गई हैं। हेली उम्मीद कर रही हैं कि ‘ठोस एवं मजबूत ‘ क्रूज ही रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में आगे चल रहे डोनाल्ड ट्रंप को रोक पाएंगे।
राज्य की राजधानी कोलंबिया में संवाददाताओं से उन्होंने कहा, “मेरी उम्मीद और मेरी प्रार्थना है कि सीनेटर क्रूज इसे निकाल ले जाएं और वहां पहुंचे जहां उनके जाने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “क्योंकि हम लोग मजबूत नेता चाहते हैं, इसलिए हम भी किसी ऐसे नेता को चाहते हैं जो परंपरावादी (कंजर्वेटिव) हो, हम भी किसी ऐसे व्यक्ति को चाहते हैं जो काम करने के बारे में सोचता हो। इसलिए हम देखेंगे क्या होता है।”
हेली ने कहा कि उनकी प्रार्थना औपचारिक रूप से क्रूज को समर्थन देने के लिए अपर्याप्त है लेकिन वह टेक्सस के सीनेटर को सफल होते देखना चाहेंगी।
उन्होंने कहा कि क्रूज की उम्मीदवारी उनकी अनुशासित एवं ठोस मुहिम को जाती है। उन्हें नहीं लगता कि ओहियो के गवर्नर जान कासिच के पास अधिक अवसर हैं।
चार राज्यों में मंगलवार को रिपब्लिकन के प्राइमरी में जीत दर्ज करने के बाद ट्रंप के प्रतिनिधियों की संख्या 673 हो गई है जबकि क्रूज के 411 और कासिच के 143 प्रतिनिधि हैं। रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अमेरिका का उम्मीदवार बनने के लिए 1237 प्रतिनिधियों की जरूरत है।
पिछले माह हेली ने रुबियो का समर्थन किया था। जब ट्रंप ने रुबियो को उनके गृह राज्य फ्लोरिडा में धूल चटा दी तो वह उम्मीदवारी की दौड़ से बाहर हो गए।
हेली ने कहा कहा, “मैं नहीं समझती कि मुझे औपचारिक तौर पर किसी को समर्थन देने की जरूरत है। यदि कोई मुझसे पूछता है तो यही वह बात है जिसे में होते देखना चाहती हूं।”
हेली और ट्रंप के बीच चुनाव प्रचार के लिए ट्रंप द्वारा अपनाई गई चालों को लेकर अनबन सार्वजनिक हो चुकी है। खासकर मुसलमानों के अमेरिका में आकर बसने पर प्रतिबंध लगाने की उनके रुख को लेकर ऐसा हुआ है।