नई दिल्ली, 23 जनवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 100 गोपनीय फाइलें सार्वजनिक की।
ब्रिटिश सेना के खिलाफ अपनी अलग सेना, आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले स्वतंत्रता सेनानी की मौत सात दशकों बाद भी एक रहस्य बनी हुई है।
सरकार ने नेताजी से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का फैसला किया था, जिसके तहत मोदी ने बोस की जयंती पर शनिवार को नेताजी से जुड़े दस्तावेजों की 100 डिजिटल फाइलें जारी की।
मोदी ने इसके साथ ही एक वेब पोर्टल ‘नेताजीपेपर्स डॉट गर्वनमेंट डॉट इन’ भी लांच किया, जहां इन दस्तावेजों का डिजिटल संस्करण मौजूद है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, “भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार ने प्रारंभिक संरक्षण और डिजिटीकरण के बाद पहले कदम के तौर पर 100 फाइलों को सार्वजनिक किया है।”
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि अन्य फाइलों के संरक्षण और डिजिटीकरण के बाद उन्हें भी सार्वजनिक किया जाएगा।
बयान के मुताबिक, “भारत सरकार ने संबंधित विदेशी सरकारों को नेताजी से संबंधित सभी फाइलों और दस्तावेजों का खुलासा करने को लिखा है। सरकार उनके साथ इस मुद्दे को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।”
बोस के परिवार के सदस्य इस फैसले से काफी खुश हैं, जिनमें से कुछ इस दौरान मौजूद थे और उन्होंने इसे ‘पूरे राष्ट्र के लिए एक बेहतरीन दिन’ करार दिया।
मोदी ने प्रोफेसर चित्रा घोष, चंद्र बोस और सूर्य कुमार बोस सहित नेताजी के परिवार के सदस्यों से मुलाकात भी की।
मोदी ने 14 अक्टूबर, 2015 को नेताजी के परिजनों से मुलाकात के दौरान घोषणा की थी कि केंद्र सरकार चरणबद्ध तरीके से नेताजी से संबंधित फाइलें सार्वजनिक करेगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और कभी महात्मा गांधी के करीबी सहयोगियों में से एक रहे बोस के बारे में बताया जाता है कि उनका निधन 1945 में फॉरमोसा (अब ताइवान) में एक विमान दुर्घटना में हुआ था, जो अब भी एक रहस्य है।
बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था।
राष्ट्रीय अभिलेखागार को 1997 में रक्षा मंत्रालय की ओर से आजाद हिंद फौज से संबंधित 990 फाइलें प्राप्त हुई थीं, जिसकी स्थापना नेताजी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश भारतीय सेना के खिलाफ की थी।
इस संबंध में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “इन दस्तावेजों के खुलासे से जनता की लंबित मांगें पूरी होंगी और शोधकर्ताओं को भविष्य में नेताजी पर शोध करने में मदद मिलेगी।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक ट्वीट में कहा, “नेताजी को ‘राष्ट्र नेता’ का खिताब दिया जाना चाहिए। वह इस सम्मान के हकदार हैं।”
उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी सरकार ने 18 सितम्बर, 2015 को नेताजी के परिजनों की मौजूदगी में नेताजी से जुड़ी 12,744 पृष्ठों की 64 फाइलें सार्वजनिक की थी।
नेताजी के करीब 70 साल पहले लापता होने के बारे में अभी भी रहस्य बरकरार है, जिसके खुलासे के लिए उनके परिजन उनसे जुड़ी सभी फाइलें सार्वजनिक किए जाने की मांग करते रहे हैं।
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि इन फाइलों में क्या है, इसे देखने को वह इच्छुक हैं। लेकिन इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण उनके जीवन और उनकी सोच, उनके काम और उनकी ²ष्टि के बारे में चर्चा करना है, न कि उनकी मौत कैसे हुई, हम इस पर चर्चा करते रहें।