नेपाल के शेरपाओं ने फैसला किया है कि वे इस साल माउंट एवरेस्ट के रास्ते पर नहीं जाएंगे. पिछले हफ्ते उनके 16 साथी हिमस्खलन में मारे गए और उन्हीं की याद में उन्होंने यह कदम उठाया.8,848 मीटर ऊंची सफेद पहाड़ी पर चढ़ते वक्त पर्वतारोहियों के अहम काम शेरपाओं के जिम्मे होता है. वे सामान और खाना ढोते हैं और रास्ते में जरूरत पड़ने पर उपकरणों और सीढ़ियों की मरम्मत भी करते हैं. इससे उनके ग्राहकों का जोखिम तो कम होता है लेकिन खुद उनका जोखिम बढ़ जाता है.
नेपाल के गाइड तुलसी गुरुंग ने बताया, “दोपहर में हमने लंबी चौड़ी मीटिंग की, जिसके बाद फैसला किया गया कि इस साल हम अपना काम नहीं करेंगे. हम अपने खोए हुए भाइयों के सम्मान में ऐसा कर रहे हैं. सभी शेरपा इस मुद्दे पर एक राय हैं.”
पिछले हफ्ते शुक्रवार को जो हिमस्खलन हुआ था, उसके बाद गुरंग के भाई भी लापता हैं. उनका कहना है, “कुछ शेरपा लौट चुके हैं और बाकी शेरपा हफ्ते भर में अपना सामान बांध कर घर चले जाएंगे.” वहीं पसांग शेरपा का कहना है, “चढ़ाई के पहले ही दिन 16 लोगों की मौत हो चुकी है. अब हम इस पर्वत पर कैसे पैर धर सकेंगे.”
शेरपाओं ने इससे पहले धमकी दी थी कि अगर सरकार ने उनका मुआवजा नहीं बढ़ाया और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं तय की गई, तो वे अपना काम रोक देंगे. अब उनके ताजा फैसले के बाद विदेशी पर्वतारोही राजधानी काठमांडू की ओर रवाना हो चुके हैं, ताकि मसले का कुछ हल निकल सके. अमेरिकी पर्वतारोही एड मार्केज का कहना है, “ऐसा नहीं लगता कि उन्हें सिर्फ मुआवजा ही चाहिए, लगता है कि उन्होंने तो इस साल साथियों की याद में एवरेस्ट को ही बंद कर दिया है.”