इस्लामाबाद, 18 जून (आईएएनएस)। तोरखम में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा शनिवार को फिर से खोल दी गई। यह सीमा लगभग छह दिनों से बंद थी और इस दौरान पाकिस्तानी की तरफ एक फाटक के निर्माण को लेकर दोनों पक्षों में झड़पें हुईं थीं।
पाकिस्तान के दैनिक अखबार डॉन की वेबसाइट के अनुसार, सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि शनिवार को दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक हुई, जिसके बाद यातायात के लिए सीमा फिर से खोल दी गई और तोरखम में कर्फ्यू हटा लिया गया।
सूत्रों के अनुसार, तोरखम में फाटक का नाम पाकिस्तानी सेना के मेजर अली जवाद चंगेजी के नाम पर रखा जाएगा। अफगानिस्तान की ओर से गोलीबारी में मेजर चंगेजी की मौत हो गई थी।
सीमा फिर से खोले जाने के बाद लोगों की गहन जांच की गई और सिर्फ उन्हीं लोगों को पाकिस्तान में प्रवेश की इजाजत दी गई है, जिनके पास सभी आवश्यक दस्तावेज हैं।
सीमा बंद होने के कारण सीमा की दोनों ओर हजारों लोग और ट्रक फंसे हुए थे।
पाकिस्तानी क्षेत्र में नई सीमा चौकी के निर्माण को लेकर गत रविवार को दोनों ओर से गोलीबारी शुरू हुई थी।
गोलीबारी में एक पाकिस्तानी सेना के अधिकारी और एक अफगान अधिकारी की मौत हो गई, जबकि दोनों तरफ कुछ अधिकारी और आम नागरिक घायल भी हुए।
अफगानिस्तान ने हिंसा को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए मंगलवार को पाकिस्तानी राजदूत को तलब किया था। इसी तरह पाकिस्तान ने भी सोमवार को इस्लामाबाद में अफगानी उपराजदूत को तलब किया था।
एक दिन पूर्व हुए कूटनीतिक और सैन्य संपर्को के बाद दोनों देश बुधवार को संघर्ष-विराम पर राजी हो गए, लेकिन जिन शर्तो पर संघर्ष-विराम हुआ, उसके बारे में दोनों तरफ से विवादास्पद दावे किए गए हैं।
अफगानिस्तान के राजदूत उमर जखिलवाल ने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बैठक में प्रवेश द्वार के निर्माण कार्य फिर से शुरू करने पर सहमति नहीं बनी थी। निर्माण कार्य नहीं रोके जाने पर अफगानी दूत ने बैठक छोड़ने तक की धमकी दी थी।
सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य शनिवार तक जारी था। पाकिस्तान का कहना था कि आतंकियों को सीमा पार करने से रोकने के लिए द्वार का निर्माण किया जा रहा है।
दोनों देशों के बीच सीमा खुली और विवादित है। अफगानिस्तान ने सीमा की रूपरेखा मानने से इन्कार करते हुए करीब 2200 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगाने के पाकिस्तान के लगातार प्रयास को विफल किया है।
अधिकारियों का कहना है कि सीमा पर प्रवेश द्वार का निर्माण करने की पहल राष्ट्रीय कार्य योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सीमा की सुरक्षा करना है। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों में दीर्घकालीन शांति की स्थापना में सहायक होगा।