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 प्राचीन “वैज्ञानिक सिद्धांतों” के अध्ययन की आवश्यकता है? | dharmpath.com

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प्राचीन “वैज्ञानिक सिद्धांतों” के अध्ययन की आवश्यकता है?

February 8, 2015 7:21 am by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से, धर्म-अध्यात्म Comments Off on प्राचीन “वैज्ञानिक सिद्धांतों” के अध्ययन की आवश्यकता है? A+ / A-

इस सप्ताह गोवा में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के तीन-दिवसीय विज्ञान-सम्मेलन के आयोजक, जयंत साहस्रबुद्धय ने कहा है कि उन ऐसे प्राचीन “वैज्ञानिक’ सिद्धांतों” का अध्ययन करने की आवश्यकता है जिनमें से एक “वैज्ञानिक’ सिद्धांत” का अभी हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उल्लेख किया गया था।

1013280629नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि प्लास्टिक सर्जनों ने गणेश के सिर-कटे शरीर पर किसी हाथी का सिर सज्जित कर दिया था। एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयंत साहस्रबुद्धय ने कहा कि प्राचीन भारत में प्लास्टिक सर्जरी के अस्तित्व को साबित करने के लिए भगवान गणेश का उदाहरण देने की भी कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि “दुनिया भर के लोगों ने स्वीकार कर लिया है कि आधुनिक शल्य-चिकित्सा के पितामह महर्षि सुश्रुत ही थे।”
ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल अक्तूबर में राष्ट्रीय राजधानी में बोलते हुए शल्यचिकित्सा विज्ञान के प्रसंग में हिन्दुओं के पूजनीय देवता, भगवान गणेश का उल्लेख किया था जिनका शरीर तो मानव का था लेकिन सिर हाथी का था।
नरेन्द्र मोदी ने कहा था-

इस सप्ताह गोवा में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के तीन-दिवसीय विज्ञान-सम्मेलन के आयोजक, जयंत साहस्रबुद्धय ने कहा है कि उन ऐसे प्राचीन “वैज्ञानिक’ सिद्धांतों” का अध्ययन करने की आवश्यकता है जिनमें से एक “वैज्ञानिक’ सिद्धांत” का अभी हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उल्लेख किया गया था।

नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि प्लास्टिक सर्जनों ने गणेश के सिर-कटे शरीर पर किसी हाथी का सिर सज्जित कर दिया था। एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयंत साहस्रबुद्धय ने कहा कि प्राचीन भारत में प्लास्टिक सर्जरी के अस्तित्व को साबित करने के लिए भगवान गणेश का उदाहरण देने की भी कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि “दुनिया भर के लोगों ने स्वीकार कर लिया है कि आधुनिक शल्य-चिकित्सा के पितामह महर्षि सुश्रुत ही थे।”
ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल अक्तूबर में राष्ट्रीय राजधानी में बोलते हुए शल्यचिकित्सा विज्ञान के प्रसंग में हिन्दुओं के पूजनीय देवता, भगवान गणेश का उल्लेख किया था जिनका शरीर तो मानव का था लेकिन सिर हाथी का था।
नरेन्द्र मोदी ने कहा था-

“हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं। उस युग में अवश्य कोई ऐसा शल्य-चिकित्सक होगा जिसने एक मनुष्य के शरीर पर हाथी का सिर जोड़ दिया था और इस प्रकार प्लास्टिक सर्जरी की प्रथा को जन्म दिया था।””मैं इतना तो नहीं जानता हूँ कि भगवान गणेश के साथ क्या हुआ था, लेकिन न केवल हमारे देश की, बल्कि दुनिया भर की पाठ्य पुस्तकों में लिखा हुआ है कि महर्षि सुश्रुत ही आधुनिक प्लास्टिक सर्जरी के पितामह थे।”

महर्षि सुश्रुत ने छठी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास जटिल शल्य-चिकित्सा का सिद्धांत प्रतिपादित किया था।
भारत के 24 से अधिक राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से वैज्ञानिक छह फरवरी को गोवा में शुरू हुए तीन दिवसीय “भारतीय विज्ञान सम्मेलन व प्रदर्शनी” में भाग ले रहे हैं और वे प्राचीन और आधुनिक शल्य-चिकित्सा विज्ञान से जुड़े पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं। भारत के रक्षा एवं अनुसंधान विकास संगठन द्वारा निर्मित मिसाइलों, मंगल ग्रह के एक मॉडल, रडार प्रौद्योगिकी और सम्मेलन-स्थल पर सुरक्षा उद्देश्यों से तैनात रोबोटों का इस सम्मेलन के दौरान प्रदर्शन किया जा रहा है।

 

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