कोलकाता, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में डेनिश उपनिवेश के समय का संत ओलाव चर्च का जीर्णोद्धार कार्य पूरा हो गया है, और इसे अब 16 अप्रैल से नियमित प्रार्थना और पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। यह गिरजाघर दो सदियों से भी अधिक प्राचीन है।
स्थानीय स्तर पर ‘डेनिश गिरजाघर’ के नाम से मशहूर हूगली जिले के श्रीरामपुर में स्थित यह गिरजाघर 1755 और 1845 के बीच निर्मित 100 से भी ज्यादा इमारतों में से एक है। श्रीरामपुर इस दौर में डेनिश व्यवस्था के अधीन था और इसे फ्रेडरिकस्नेगोर कहा जाता था।
गिरजाघर के जीर्णोद्धार के काम में शामिल फादर टेरेंस आयरलैंड ने आईएएनएस से कहा, “16 अप्रैल को एक छोटा समारोह होगा, जिसके बाद इसे नियमित प्रार्थना के लिए खोल दिया जाएगा।”
इस गिरजाघर की घंटियां अब इस्तेमाल नहीं की जातीं। इनमें से एक घंटी पर ‘फ्रेड्रिक्सवएर्क 1804’ लिखा है, जो इसके डेनिश के किसी लोहा कारखाने में बने होने की ओर इशारा करता है।
कलकत्ता डायोसिजन ट्रस्ट की देखरेख में 210 साल पुराने इस गिरजाघर को 2013 से बंद रखा गया था, क्योंकि इसके ढहने का खतरा था।
हालांकि नेशनल म्यूजियम ऑफ डेनमार्क (एनएमडी) श्रीरामपुर, श्रीरामपुर कॉलेज और वास्तु कंपनी कॉन्टिन्यूटी की सहभागिता में गिरिजाघर के गुम गौरव को लौटाने के लिए व्यापक रूप से जीर्णोद्धार का काम किया गया है।