ससाराम (बिहार), 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के रोहतास जिले का नाम भले ही सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहितेश्वर के नाम पर रखा गया हो, परंतु इन दिनों चुनावी रंग से सराबोर इस जिले में नेताओं के हो रहे वादे को यहां के लोग सच नहीं मानते। वैसे शहर से लेकर गांव तक में लोग प्रत्याशियों के हार और जीत के गुणा-भाग में जुटे हुए हैं।
ससाराम (बिहार), 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के रोहतास जिले का नाम भले ही सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहितेश्वर के नाम पर रखा गया हो, परंतु इन दिनों चुनावी रंग से सराबोर इस जिले में नेताओं के हो रहे वादे को यहां के लोग सच नहीं मानते। वैसे शहर से लेकर गांव तक में लोग प्रत्याशियों के हार और जीत के गुणा-भाग में जुटे हुए हैं।
‘धान का कटोरा’ कहे जाने वाले रोहतास जिले में विधानसभा की कुल सात सीटें हैं। पिछले चुनाव में इन सात सीटों में से तब राजग में शामिल जनता दल (युनाइटेड) ने चार सीटों पर कब्जा जमाया था। वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो प्रत्याशी विजयी हुए थे। एक सीट डेहरी पर निर्दलीय उम्मीदवार ज्योति रश्मि ने जीत दर्ज की थी।
इस चुनाव में बदली परिस्थिति में मुख्य मुकाबला भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और सत्तारूढ़ महागठबंधन (राजद, जदयू और कांग्रेस) के बीच माना जा रहा है, परंतु कुछ सीटों पर संघर्ष त्रिकोणात्मक भी कहा जा रहा है।
आजादी के पहले शेरशाह सूरी की धरती और आजादी के बाद बाबू जगजीवन राम की कर्मस्थली प्रारंभ से राजनीति चेतना की धुरी रही है। प्रारंभ में इस क्षेत्र में कांग्रेस का एकछत्र राज माना जाता था, परंतु कालांतर में इस क्षेत्र में कांग्रेस की पकड़ कम होती चली गई।
करीब 20 लाख मतदाताओं वाले इस जिले में ऐसे तो कई विकास के कार्य हुए हैं परंतु समस्याएं कम नहीं हुई है। सासाराम का दक्षिणी हिस्सा अभी भी सिंचित नहीं हुआ है। दुर्गावती जलाशय परियोजना पिछले वर्ष कहने को तो प्रारंभ हो गई है, परंतु आज भी मुख्य कैनाल से चेनारी क्षेत्र को छोड़कर कहीं भी छोटी नहर नहीं बन सकी।
सासाराम में खाद की एक दुकान पर खाद खरीद रहे एक व्यक्ति ने कहा, “ऐ मरदिया केहू के जीते से का हो जाई। कउनो नेता के अइला-गइला से कवनो फड़क पड़ेके बा। हम-तूं जवन बानी, तवने रहब जा। जे देश में होयत बा वही होई। सब नेता आ के त झूठे बोल लन।”
चेनारी के किसान रामचन्द्र सिंह कहते हैं कि सही वक्त पर सरकार धान का समर्थन मूल्य तय नहीं करती, जिस कारण किसानों को कम मूल्य पर धान बेचना पड़ता है। अगर सरकार समर्थन मूल्य तयकर धान खरीद भी लेती है, तब भी किसानों को सही समय पर भुगतान नहीं होता है।
चेनारी के एक सत्तू की दूकान पर चुनाव को लेकर चर्चा हो रही है। एक पक्ष समस्या से इतना परेशान है कि वोट बहिष्कार की बात करता है, परंतु वहीं सत्तू पी रहे मोरसराय क्षेत्र के अनिल कुमार हाथ में सत्तू का गिलास लिए कहते हैं, “कइलो का जाव महाराज। एही में नूं रास्ता खोजे के बा। भोटवा ना देला से भी तो कवनो फायदा नइखे।”
सासाराम विधानसभा सीट से भाजपा ने एक बार फिर जवाहर प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा है। प्रसाद यहां से छह बार जीत चुके हैं। राजद ने अशोक कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है। पिछले चुनाव में जवाहर प्रसाद ने राजद के अशोक कुमार को 5,411 वोटों से हराया था।
सासाराम के वरिष्ठ पत्रकार विनोद तिवारी कहते हैं कि रोहतास की सभी सात सीटों पर मुख्य मुकाबला राजग और महागठबंधन के बीच ही है, परंतु जातीय समीकरण और प्रत्याशी की क्षेत्र में पकड़ के आधार पर डेहरी और करगहर में मुकाबला त्रिकोणात्मक है। वे कहते हैं कि सभी सीटों पर मुकाबला किसी भी दल के लिए आसान नहीं है।
डेहरी से निवर्तमान विधायक ज्योति रश्मि के पति प्रदीप जोशी इस बार निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं, जबकि राजद ने इलियास हुसैन को प्रत्याशी बनाया है जबकि राजग की ओर से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने रिंकू सोनी को मैदान में उतारा है।
नोखा से भाजपा के रामेश्वर चौरसिया चुनावी मैदान में हैं, जबकि राजद ने अनिता देवी को चुनावी अखाड़े में उतारा है। इस चुनाव में रोहतास की सात सीटों में से राजद ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि जद (यू) दो और कांग्रेस एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। राजग की ओर से भाजपा चार तथा रालोसपा ने तीन सीट पर उम्मीदवार खड़े किए हैं।
श्री शंकर कॉलेज के प्रोफेसर और राजनीति के जानकार कामता सिंह कहते हैं कि बिहार में अन्य क्षेत्रों की तरह यहां के मतदाता जातीय समीकरण और पार्टी के आधार पर वोट डालते रहे हैं। ऐसे में इस चुनाव को भी अलग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दो-तीन सीटों पर दोनों गठबंधन को भितरघात का डर सता रहा है।
इस क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 16 अक्टूबर को मतदान होना है।