कोलकाता, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित पूर्ण रूप से स्वदेशी नौवहन प्रणाली लोगों के लिए जीपीएस के विकल्प के तौर पर काम करेगा और सुदूरवर्ती इलाकों में यह सेवा को और दुरूस्त करेगा। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि यह नौवहन ट्रकों व जहाजों की आवाजाही पर निगरानी रखने में भी कारगर होगा।
इसरो के प्रकाशन व पब्लिक रिलेशंस विभाग के निदेशक देवीप्रसाद कार्णिक ने कहा, “हमारे पास अपनी नौवहन प्रणाली होगी, जो नौवहन के लिए अंतरिक्ष में स्थापित सातों आईआरएनएसएस उपग्रहों का इस्तेमाल करेंगे, जो अगले साल के मध्य से काम करना शुरू कर देगा। एक प्रकार से यह जीपीएस का विकल्प है।”
कोलकाता में बिड़ला इंडस्ट्रियल एंड टेक्नोलॉजिकल म्यूजियम में सतत चुनौतियों के समाधान के लिए भारत का अंतरिक्ष मिशन व अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल विषय पर एक व्याख्यान से इतर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “जीपीएस नौवहन सेवा अमेरिका प्रदान करता है, जबकि आईआरएनएसएस स्वदेशी है।”
उन्होंने कहा कि आईआरएनएसएस के पूरे सेटअप के सात उपग्रहों में से चार उपग्रह (आईआरएनएसएस-1ए, 1बी, 1सी तथा 1डी) कक्षा में स्थापित किए जा चुके हैं। बाकी तीन उपग्रहों (आईआरएनएसएस-1ई, 1एफ तथा 1जी) को जनवरी 2016 से मार्च 2016 के बीच लॉन्च करने का लक्ष्य है।
कार्णिक ने कहा, “एक बार जब सातों उपग्रह कक्षा में स्थापित हो जाएंगे, हमें उसके द्वारा प्राप्त होने वाले आंकड़ों को सही करने में थोड़ा वक्त लगेगा। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे इस तरह डिजायन किया गया है कि नौवहन का दायरा भारत में 1,500 किलोमीटर की त्रिज्या तक होगा।”
उन्होंने कहा, “ट्रकों व जहाजों की निगरानी व प्रभावी प्रबंधन विमानों के माध्यम से किया जाएगा। उदाहरण स्वरूप जहाजों के लिए यह प्रणाली बताएगी कि कौन सा मार्ग ज्यादा प्रभावी होगा। इससे समय व ईंधन की बचत होगी।”