चेन्नई, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत की आर्थिक विकास दर इस वर्ष और 2016 में 7.6 प्रतिशत रह सकती है, जबकि बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियों के और सरकार द्वारा सुधार के मोर्चे पर सफल न हो पाने के कारण नकारात्मक उत्पादन वृद्धि दर कठिनाई पैदा करने वाली होगी। यह बात मूडीज एनलिटिक्स ने कही है।
चेन्नई, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत की आर्थिक विकास दर इस वर्ष और 2016 में 7.6 प्रतिशत रह सकती है, जबकि बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियों के और सरकार द्वारा सुधार के मोर्चे पर सफल न हो पाने के कारण नकारात्मक उत्पादन वृद्धि दर कठिनाई पैदा करने वाली होगी। यह बात मूडीज एनलिटिक्स ने कही है।
मूडीज कॉरपोरेशन की शाखा, मूडीज एनलिटिक्स ने ‘इंडिया आउटलुक : सर्चिग फॉर पोटेंशियल’ शीर्षक वाली एक रपट में कहा है, “कुल मिलाकर यह अस्पष्ट है कि भारत सुधार संबंधित वादे पूरे कर सकता है या नहीं।”
रपट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सितंबर तिमाही में वर्ष दर वर्ष आधार पर लगभग 7.3 प्रतिशत रह सकती है, जो अपेक्षित नौ या 10 प्रतिशत की दर से काफी कम है।
मूडीज एनलिटिक्स ने अनुमान जाहिर किया है कि इस वर्ष सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रह सकती है। संस्था ने कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर, श्रम कानूनों में सुधार और भूमि अधिग्रहण विधेयक से भारत की उत्पादकता सुधर सकती है।
मूडीज एनलिटिक्स ने कहा है कि राजनीति में सुधार की जरूरत है और सरकार के सुधार एजेंडे में दीर्घकालिक वृद्धि हासिल करने की तरफ ध्यान आकर्षित करने की आवश्यकता है।
मूडीज एनलिटिक्स ने कहा है कि यह अलग बात है कि संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) में सरकार को विपक्ष के व्यवधान का सामना करना पड़ा है, लेकिन सत्ता पक्ष के लोगों की विवादास्पद टिप्पणियों ने भी सरकार को नुकसान पहुंचाया है।
रपट में कहा गया है कि देश के विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के साथ घटी घटनाओं के कारण जातीय तनाव का वातावरण भी पैदा हुआ है।
रपट में कहा गया है, “हिंसा में संभावित वृद्धि के साथ ही सरकार को ऊपरी सदन में कड़े प्रतिरोध का सामना करना होगा।”
रपट के अनुसार, ब्याज दर में कमी से अर्थव्यवस्था को अल्पकालिक लाभ ही मिल सकता है और वित्त बाजार की भावना मंद पड़ गई है। वर्ष 2015 में अब और दर कटौती संभव नहीं है, लेकिन अगले वर्ष दर कटौती हो सकती है।
भारतीय शेयर बाजार और विदेशों से धनागम में मंदी छाई हुई है, जबकि वैश्विक वृद्धि दर में सुस्ती और बाहरी प्रतिकूल परिस्थितियां भारतीय निर्यातकों को आघात पहुंचा रही हैं।
मूडीज एनलिटिक्स को अनुमान है कि भारतीय निर्यात में 2016 में भी गिरावट बनी रहेगी, और यदि वैश्विक वृद्धि में और गिरावट आई तो भारत के चालू खाता संतुलन पर और दबाव बन सकता है।
रपट में कहा गया है, “अभी तक तेल मूल्य में गिरावट के कारण व्यापार संतुलन को सहारा मिला है। लेकिन तेल कीमतों में फिर से आई तेजी के कारण व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है।”
मूडीज एनलिटिक्स के अनुसार, इस तरह के संकेत हैं कि भारत की आर्थिक संभावनाओं को लेकर विदेशी निवेशकों की आशाएं क्षींण हो रही हैं।
रपट में कहा गया है, “वर्ष 2014 में इक्विटी में शुद्ध वित्तीय प्रवाह 16 अरब डॉलर था। लेकिन इस वर्ष इतने की संभावना नहीं है। भारतीय ऋण बाजार में वित्तीय प्रवाह के बारे में भी यही बात कही जा सकती है।”