भोपाल, 11 जनवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के वरिष्ठ दलित आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी रमेश थेटे कथित तौर पर राज्य सरकार की प्रताड़ना से बेहद दुखी हैं। उनका दर्द सोमवार को दलित-आदिवासी फोरम में निकल कर बाहर आ गया और वह फूटफूट कर रोने लगे।
दलित-आदिवासी फोरम के बैनर तले आईएएस अफसर शशि कर्णावत (वर्तमान में निलंबित) और रमेश थेटे ने राज्य सरकार द्वारा प्रताड़ित किए जाने के विरोध में सोमवार को अंबेडकर पार्क में दिन भर का धरना आयोजित किया।
इस मौके पर थेटे ने बताया कि उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके खिलाफ नौ से अधिक मामले दर्ज किए गए, लोकायुक्त उनके पीछे पड़ा हुआ है, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने सभी मामलों में उनके पक्ष में फैसला दिया, उसके बाद उन्हें पदोन्नति मिली। वर्तमान में उन्हें बाल संरक्षण आयोग का सचिव बनाया गया है।
थेटे ने बताया कि सरकार की प्रताड़ना के कारण ही उनके बच्चों के चेहरे की खुशी और पत्नी का सौंदर्य गुम गया है। उन्हें प्रताड़ित सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि वह दलित वर्ग से हैं।
शशि कर्णावत के साथ भी ऐसा ही कुछ है। कर्णावत के अनुसार, जिस तरह का प्रकरण उनके खिलाफ दर्ज कर उन्हें निलंबित किया गया है, ठीक वैसा ही मामला एक अन्य अधिकारी पर था, परंतु सरकार ने उसे संरक्षण दिया, वर्तमान में वह जिम्मेदार पद पर पदस्थ है।
उनके अनुसार, ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वह अधिकारी सवर्ण है।
थेटे को आशंका है कि वह दलित-आदिवासी फोरम में आए हैं, इसलिए उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई कर सकती है। ऐसी आशंका उन्हें इसलिए है, क्योंकि लगातार उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है।
थेटे ने कहा कि अगर उन्हें नोटिस भी दिया गया तो वह अन्न-जल त्याग कर मृत्यु को गले लगाएंगे।
उन्होंने लोगों से कहा कि अगर उनके साथ अनहोनी होती है तो उनके शव को मुख्यमंत्री आवास, मंत्रालय और बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा के सामने कुछ समय के लिए रखा जाए। यह कहते हुए उनका गला भर आया और वह फूट-फूट कर रोने लगे।
मंच पर मौजूद फोरम के संयोजक मोहन लाल पाटील व अन्य ने उन्हें संभाला, साथ ही कहा कि भाजपा की सरकारें दलितों-आदिवासियों को प्रताड़ित कर रही हैं, जिसकी उसे कीमत चुकानी पड़ेगी।