(खुसुर-फुसुर)– मप्र में चुनावों का दौर है और इसका यह मतलब नहीं की राजनीतिक दांव-पेंच ठन्डे पड़े हों.एक दुसरे के खिलाफ यही समय होता है मजबूत होने का.मालवा के भाजपा के दिग्गज ने मुखिया को आँखें क्या दिखायीं चित और पट की बिसातें बिछनी शुरू हो गयीं हैं.संगठन का बड़ा सम्मलेन इसका एक संकेत है.
खबर है की मुखिया से छेड़खानी का नतीजा भुगतना पड़ सकता है कद्दावर नेता को और इसके संकेत भी मिलने शुरू हो गए हैं.अगर ऐसा होता है तो रेफरी की भूमिका केन्द्रीय सगठन निभाएगा और अपना मनचाहा पद वह ले जाएगा.क्योंकि भाजपा संगठन बदनामी चाहता नहीं और सब कुछ ढांकने के लिए दूर करना ही होता है .
अब देखना यह है की मोदी जी का सफाई अभियान कब से शुरू होता है और क्या रंग लाता है वैसे अभी तक तो समाज और देश हित में कुछ भी नजर नहीं आ रहा है.