भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। उनका जन्म राज परिवार में हुआ था। राज
परिवार में चैत्र द्रुक्ल पक्ष के तेरस ( १२ अप्रैल ५९९ बी.सी.) को हुआ था। उनके
पिता का नाम राजा सिद्धार्थ और माता का नाम रानी त्रिच्चाला था। कहते हैं कि उनके
पैदा होने के पहले रानी त्रिशाला ने १४ पवित्र सपने देखें जो उनके भविद्गय में महान
आत्मा होने का संकेत था। बचपन से ही उन्हें ध्यान एवं धर्म में रूचि थी। ३० साल की
उम्र में उन्होने अपना राज्य और घर छोड़ दिया और १२ वर्द्गा तक कठोर तपस्या की इस
दरमियान उन्होने सभी सांसारीक वस्तुओं यहां तक की कपडो को भी त्याग दिया। इस
आध्यात्म यात्रा के अंत में उन्हें कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ। उनके साहस और वीरता
के कारण उन्हें महावीर का नाम दिया गया।
भगवान महावीर ने अपनी बची जिन्दगी में लोगों को परम सत्य और आध्यात्मिक स्वतंत्रता
के बारे में नई शिक्षा दी उन्होंने जैन धर्म की शिक्षाओं का प्रसार किया। ७२ साल
४.५ महीनें की उम्र में कार्तिक की अमावस्या (५२७ बी.सी.) के दिन उन्होंने पावापुरी
में निर्वाण प्राप्त किया।
जैन धर्म के २४ तीर्थंकर
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
पावापुर्
क्रम सं | तीर्थंकार | जन्म नगरी | जन्म नक्षत्र | माता का नाम | पिता का नाम | वैराग्य वृक्ष | चिह्न | निर्वान क्शेत्र |
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१ | ऋषभदेव जी | अयोध्या | उत्तराषाढ़ा | मरूदेवी | नाभिराजा | वट वृक्ष | बैल | श्री कैलाश पर्वत् |
२ | अजितनाथ जी | अयोध्या | रोहिणी | विजया | जितशत्रु | सर्पपर्ण वृक्ष | हाथी | सम्मेद शिखेर जी |
३ | सम्भवनाथ जी | श्रावस्ती | पूर्वाषाढ़ा | सेना | जितारी | शाल वृक्ष | घोड़ा | सम्मेद शिखेर जी |
४ | अभिनन्दन जी | अयोध्या | पुनर्वसु | सिद्धार्था | संवर | देवदार वृक्ष | बन्दर | सम्मेद शिखेर जी |
५ | सुमतिनाथ जी | अयोध्या | मद्या | सुमंगला | मेधप्रय | प्रियंगु वृक्ष | चकवा | सम्मेद शिखेर जी |
६ | पद्मप्रभु जी | कौशाम्बीपुरी | चित्रा | सुसीमा | धरण | प्रियंगु वृक्ष | कमल | सम्मेद शिखेर जी |
७ | सुपार्श्वनाथ जी | काशीनगरी | विशाखा | पृथ्वी | सुप्रतिष्ठ | शिरीष वृक्ष | साथिया | सम्मेद शिखेर जी |
८ | चन्द्रप्रभु जी | चंद्रपुरी | अनुराधा | लक्ष्मण | महासेन | नाग वृक्ष | चन्द्रमा | सम्मेद शिखेर जी |
९ | पुष्पदन्त जी | काकन्दी | मूल | रामा | सुग्रीव | साल वृक्ष | मगर | सम्मेद शिखेर जी |
१० | शीतलनाथ जी | भद्रिकापुरी | पूर्वाषाढ़ा | सुनन्दा | दृढ़रथ | प्लक्ष वृक्ष | कल्पवृक्ष | सम्मेद शिखेर जी |
११ | श्रेयान्सनाथ जी | सिंहपुरी | वण | विष्णु | विष्णुराज | तेंदुका वृक्ष | गेंडा | सम्मेद शिखेर जी |
१२ | वासुपुज्य जी | चम्पापुरी | शतभिषा | जपा | वासुपुज्य | पाटला वृक्ष | भैंसा | श्री च्हम्पापुर जी |
१३ | विमलनाथ जी | काम्पिल्य | उत्तराभाद्रपद | शमी | कृतवर्मा | जम्बू वृक्ष | शूकर | सम्मेद शिखेर जी |
१४ | अनन्तनाथ जी | विनीता | रेवती | सूर्वशया | सिंहसेन | पीपल वृक्ष | सेही | सम्मेद शिखेर जी |
१५ | धर्मनाथ जी | रत्नपुरी | पुष्य | सुव्रता | भानुराजा | दधिपर्ण वृक्ष | वज्रदण्ड | सम्मेद शिखेर जी |
१६ | शांतिनाथ जी | हस्तिनापुर | भरणी | ऐराणी | विश्वसेन | नन्द वृक्ष | हिरण | सम्मेद शिखेर जी |
१७ | कुन्थुनाथ जी | हस्तिनापुर | कृत्तिका | श्रीदेवी | सूर्य | तिलक वृक्ष | बकरा | सम्मेद शिखेर जी |
१८ | अरहनाथ जी | हस्तिनापुर | रोहिणी | मिया | सुदर्शन | आम्र वृक्ष | मछली | सम्मेद शिखेर जी |
१९ | मल्लिनाथ जी | मिथिला | अश्विनी | रक्षिता | कुम्प | कुम्पअशोक वृक्ष | कलश | सम्मेद शिखेर जी |
२० | मुनिसुव्रतनाथ जी | कुशाक्रनगर | श्रवण | पद्मावती | सुमित्र | चम्पक वृक्ष | कछुआ | सम्मेद शिखेर जी |
२१ | नमिनाथ जी | मिथिला | अश्विनी | वप्रा | विजय | वकुल वृक्ष | नीलकमल | सम्मेद शिखेर जी |
२२ | नेमिनाथ जी | शोरिपुर | चित्रा | शिवा | समुद्रविजय | मेषश्रृंग वृक्ष | शंख | गिरनार जी |
२३ | पार्श्र्वनाथ जी | वाराणसी | विशाखा | वामादेवी | अश्वसेन | घव वृक्ष | सर्प | सम्मेद शिखेर जी |
२४ | भगवान_महावीर | कुंडलपुर | उत्तराफाल्गुनी | त्रिशाला (प्रियकारिणी) |
सिद्धार्थ | साल वृक्ष | सिंह | पावापुर् |