महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एहसानुल हक मालिक ने कहा कि मुलायम मुसलमानों के वोट के लिए तरह-तरह के लुभावने वादा करते हैं और चुनाव के बाद मुसलमानों से क्या हुआ वादा पूरा करना तो दूर, उल्टा मुसलमानों को ही सताया जाता है। जैसा कि समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद मुजफ्फरनगर में जनसंहार किया गया।
मालिक ने कहा कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में मुलायम ने मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण देने के साथ-साथ रंगनाथ मिश्रा आयोग व सच्चर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की बात कही थी। उन्होंने वादा किया था कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की आड़ में उत्तर प्रदेश के जिन बेकसूर मुसलमानों को जेल में डाला गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाएगा, लेकिन नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा विकास के लिए मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में प्राथमिक और उच्च विद्यालय स्तर के सरकारी उर्दू मीडियम स्कूलों का गठन, मदरसों को तकनीकी शिक्षा के लिए विशेष बजट आवंटित और मुसलमानों के अंदर सुरक्षा का विश्वास बनाने के लिए राज्य सुरक्षा बलों में मुसलमानों के भर्ती का विशेष इंतजाम किए जाने की बात कही गई थी। लेकिन इनमें से एक भी वादा तीन साल की सपा सरकार में पूरे नहीं हो सके हैं।
उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह ने मुसलमानों जो वादे किए थे, वे भी एक जुमला था। यही हाल रहा तो वर्ष 2017 में मुलायम के किसी भी जुमले पर मुसलमान विश्वास नहीं करेगा।
मलिक ने कहा कि मुसलमान के बल पर लंबे समय से मुलायम सत्ता तो हासिल करते रहे, लेकिन जिन मुसलमानों ने उन्हें वोट दिया उनका संहार होता रहा।
उन्होंने कहा कि मुसलमान मुजफ्फरनगर, प्रतापगढ़ सहित सैकड़ों दंगों को कैसे भूल सकता है। हर हाल में मुसलमान 2017 में इसका जवाब देंगे।