नई दिल्ली, 15 मई- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को जहां एक साल पूरे होने वाले हैं, वहीं उन्हें विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ रहा है।
यहां तक कि उनकी पार्टी के सदस्य भी उनकी आलोचना से नहीं चूक रहे। पार्टी के अंदर ही आलोचना के स्वर सुने जा रहे हैं और संघ परिवार यह आवाज तेज कर रहा है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विचारक के.एन.गोविंदाचार्य भी इनमें से एक हैं।
उनका कहना है कि मोदी समाज के विभिन्न हिस्से की महत्वपूर्ण समस्या पर नजर रखने में नाकाम रहे हैं।
गोविंदाचार्य ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “उन्होंने राम जन्मभूमि और गौहत्या जैसे किसी भी मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया, जो कि उनकी मुख्य विचारधारा रही है।”
उन्होंने सिर्फ कुछ कारपोरेट के मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की। सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं जैसे स्वच्छता अभियान, जन धन योजना को भी बिना किसी पूरी तैयारी के शुरू कर दिया गया।
गोविंदाचार्य ने कहा, “जिस चीज की जरूरत है, वह निचले स्तर तक प्रतिबद्धता, प्रेरणागत संरचना के निर्माण की है।”
उन्होंने कहा कि जब तक यह संरचना नहीं तैयार होती, तब तक सामाजिक सुरक्षा के ये आयाम सफल नहीं हो सकते।
आरएसएस प्रचारक ने कहा, “घोषणा के आधार पर ये योजनाएं बेहद आकर्षक हैं। छवि-निर्माण के लिहाज से भी सकारात्मक हैं, लेकिन उपलब्धि के लिहाज से मुझे बेहद निराशा हुई है।”
राज्यसभा में बिना किसी बहुमत के मोदी ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष को मनाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे।
उन्होंने कहा कि सरकार के कामकाज का मूल्यांकन करना अभी जल्दबाजी होगी।
सरकार के प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि सरकार को वह करना चाहिए था जो लोगों के दिमाग में दर्ज है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व सुस्त अफसरशाही की अपंगता परेशान है, जो कि सेवा के अनुकूल नहीं है।
काले धन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि लोगों को लगता है कि यह सामान्य चीज है, क्योंकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने खुद कहा था कि यह सिर्फ जुमला (थोथा वादा) हो गया है।
गोविंदाचार्य यह महसूस करते हैं कि अगर सरकार का पारदर्शी रवैया रहे तो जनता विश्वास करेगी।
उन्होंने कहा, “आपने सिर्फ यह दिखाने की कोशिश की कि यह चुनावी वादा है, फिर इसे भूल गए। लोग नहीं भूलते, नेता भूल जाते हैं।”
मोदी के खुद की प्रशंसा करने की आलोचना करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि उन्हें अपनी पीठ थपथपाने से बचने की कोशिश करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि काम खुद बोलता है।
गोविंदाचार्य ने कहा, “इस रवैये का लोगों पर अच्छा प्रभाव नहीं जाता। इसका कोई मूल्य नहीं होता जब तक दूसरे आपकी सराहना ना करें।”