नई दिल्ली, 15 सितम्बर (आईएएनएस)। देश की राजधानी में रह रहे उड़िया समुदाय के लोग इस साल गणेश पूजा पर पर्यावरण को बचाने वाला एक संदेश लेकर सामने आए हैं। समुदाय ने तय किया है कि पहले से ही बदहाली की मार झेल रही यमुना में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं किया जाएगा। इसके लिए खास तौर से पानी के कुंड बनाए जाएंगे।
समुदाय ने तय किया है कि विसर्जन 20 सितंबर को किया जाएगा और इसी दिन ये कुंड बनाए जाएंगे और विसर्जन बाद शाम को इन्हें बंद कर दिया जाएगा।
सार्बजनिन कलिंगा एसोसिएशन के अध्यक्ष बिश्वजीत बारिक ने आईएएनएस से कहा, “हमने सरकार के यमुना बचाओ अभियान में अपने स्तर से सहयोग देने का फैसला किया है। हमने परंपरा तोड़ते हुए फैसला किया है कि यमुना में प्रतिमाओं को विसर्जित नहीं करेंगे जो पहले से ही प्रदूषित है।”
बारिक ने कहा, “हम अपने इलाके के पार्क में खास तौर से विसर्जन के लिए विशेष तरह के कुंड बनाएंगे। प्रतिमाओं को हम इसी में डालेंगे। इस तरह हम यमुना को प्रदूषण से बचाने में मदद करेंगे और साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी कर सकेंगे।”
एसोसिएशन ने इसके लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से इजाजत ले ली है। एमसीडी साफ-सफाई का इंतजाम देखेगी।
बारिक ने जोर देकर कहा, “डेंगू का खतरा फैला हुआ है। इसलिए हम पहले ही से फॉगिंग और सफाई के जरिए कुंड और आसपास मच्छरों के पनपने की संभावना को खत्म कर देंगे।”
उन्होंने कहा कि हम अन्य गणेश पूजा समितियों से भी अपील कर रहे हैं कि वे भी इस पर्यावरण अनुकूल कदम से कदम मिलाएं और यमुना को बचाने में मददगार बनें।
यह समुदाय 17 सितंबर से शुरू हो रही गणेश पूजा का प्रतिमा विसर्जन 20 सितंबर को करेगा। इसके बाद दुर्गा पूजा और काली पूजा के मौके पर हजारों प्रतिमाएं देश की अन्य नदियों की तरह यमुना में भी विसर्जित की जाएंगी और नदियों का प्रदूषण और बढ़ेगा।
अभी यह साफ नहीं हुआ है कि कितनी पूजा समितियां कलिंगा एसोसिएशन की तरह कदम उठाएंगी। यह भी साफ नहीं हुआ है कि केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा यमुना को साफ करने के अभियान के मद्देनजर नदी में प्रतिमा विसर्जन पर किसी तरह की कोई पाबंदी लगाई गई है या नहीं।