यिंगलुक ने 29 सितंबर को एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने अभियोजन पक्ष पर सरकार के विवादित चावल वचन योजना (राइस प्लीडिंग स्कीम) से संबंधित एक मामले की सुनवाई में अपराध संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया था। यिंगलुक पर कर्तव्यों का वहन न करने व शक्ति का गलत इस्तेमाल करने का आरोप है।
सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च में यिंगलुक के खिलाफ मामले को स्वीकार कर लिया था, जबकि मई में हुई पहली सुनवाई के दौरान यिंगलुक ने आरोपों से इंकार किया था।
अपने मुकदमे में पूर्व प्रधानमंत्री ने महाधिवक्ता व सरकारी अभियोजकों पर बिना पर्याप्त जांच के उन पर इल्जाम लगाने का आरोप लगाया है, जिसका राष्ट्रीय भ्रष्टाचार-निरोधक आयोग के आरोपों से कोई वास्ता नहीं है। इतना ही नहीं, सुनवाई के दौरान अतिरिक्त दस्तावेजों के अवैध इस्तेमाल का आरोप भी लगाया था।
आपराधिक न्यायालय ने यिंगलुक के मुकदमे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके आरोप ठोस सबूतों पर आधारित नहीं हैं और अभियोजन पक्ष ने संबंधित कानून व नियमों का पालन किया है।