उनके इस आरोप में कोई दम नहीं है कि युआन का अवमूल्यन व्यापार में लाभ हासिल करने के लिए किया गया है। उनकी यह चिंता भी जायज नहीं है कि चीन मुद्रा युद्ध छेड़ रहा है।
पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) ने मंगलवार को रोज बाजार खुलने से पहले चाइना फॉरेन एक्सचेंज ट्रेड सिस्टम में दिये जाने वाले केंद्रीय समतुल्यता भाव को तय करने के तरीकों में बदलाव करने की घोषणा की। पीबीओसी ने कहा कि यह भाव इंटर-बैंक फॉरेन एक्सचेंज में पिछले दिन युआन के बंद स्तर, बाजार में मांग और आपूर्ति और प्रमुख मुद्राओं के मूल्यों पर आधारित होना चाहिए।
पहली बात तो यह है कि यह फैसला इसलिए किया गया है, क्योंकि युआन की केंद्रीय समतुल्यता दर और वास्तविक बाजार में दर में काफी फासला बढ़ गया था और यह फासला काफी लंबे समय से था, जिसके कारण केंद्रीय समतुल्यता प्रणाली का औचित्य घट रहा था।
केंद्रीय बैंक का मकसद है कि विनिमय दर युआन और डॉलर के बीच बाजार के घटनाक्रमों पर आधारित हो और युआन का अवमूल्यन उन सुधारों के तहत हुआ है, जिसमें विनिमय दर को अधिकाधिक बाजार आधारित बनाया जा रहा है।
प्रणाली में बदलाव की घोषणा के बाद युआन में हुआ अवमूल्यन मुद्रा का नई स्थिति के अनुरूप ढलना है, जिसके कारण केंद्रीय समतुल्यता दर और बाजार की दर का फासला मिट गया है।
साथ ही प्रणाली में हुए बदलाव को मुद्रा अवमूल्यन की दिशा में आगे बढ़ना नहीं माना जाना चाहिए।
दूसरी बात यह है कि चीन की सरकार ने निर्यात में लाभ की स्थिति में पहुंचने के लिए यह अवमूल्यन नहीं किया है। विनिमय दर बढ़ना सिर्फ प्रक्रिया में हुए बदलाव का परिणाम है, लक्ष्य नहीं।
चीन के निर्यात में इस वर्ष गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन यह इसलिए हुआ है, क्योंकि वैश्विक मांग घटी है। चीन इससे उबरने के लिए घरेलू मांग बढ़ाने में सक्षम है।
तीसरी बात यह है कि विकास दर घटने के कारण युआन में कमजोरी चल रही थी और एक स्थिर अर्थव्यवस्था में ही स्थिर विनिमय दर बरकरार रह सकती है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी है इसलिए स्वाभाविक है कि डॉलर में मजबूती आएगी।
दूसरी ओर चीन अपनी विकास दर घटा रहा है ताकि अर्थव्यवस्था को संतुलित किया जा सके। इस प्रक्रिया में स्थिरता लाने में समय लगेगा। इसलिए अर्थव्यवस्था में जब तक स्थिरता नहीं आएगी, तब तक युआन में भी नहीं आ सकती। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।