मुंबई, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। शिवसेना ने मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों में प्राइम टाइम (शाम 6 से 9 बजे) के दौरान सिर्फ मराठी फिल्मे दिखाए जाने के महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव की आलोचना करने के कारण चर्चित लेखिका शोभा डे पर निशाना साधा।
शोभा डे पिछले कुछ दिनों से सरकार के इस फैसले को तानाशाही करार देते हुए इसके विरोध में ट्वीट कर रही थीं। एक ट्वीट में उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में जो कुछ कहा है, उसका आशय यह है कि उन्हें मराठी फिल्में पसंद हैं, लेकिन मराठी फिल्म देखते समय पॉपकार्न के बजाय शायद वडापाव खाना ही ठीक रहेगा।
उन्होंने सरकार के इस फैसले पर यह भी कहा था, “यह तो देवेंद्र फड़णवीस सरकार की दादागीरी है।”
शिवसेना ने व्यंग्यात्मक तरीके से आई उनकी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पूछा, “यह आपने क्या कर दिया शोभा आंटी? इससे राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई है।”
शिवसेना के वरिष्ठ विधायक प्रताप सरनाइक ने इस मामले में शोभा डे से माफी की मांग की है और उनकी टिप्पणियों से सदन के विशेषाधिकार का हनन करने के लिए विधानसभा में एक नोटिस भी लाया गया।
शोभा डे द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द ‘दादागीरी’ पर पार्टी ने दुख जताया है। पार्टी ने कहा कि शोभा डे भी मराठी महिला हैं। उन्हें ऐसा नहीं बेलना चाहिए।
उधर शोभा डे का कहना है कि उन्हें इस बात की आजादी चाहिए कि वह किस वक्त और कहां मराठी फिल्में देखेंगी।
शिवसेना ने गुरुवार को पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, “वह यह जानकर भी अचंभित होंगी कि क्या अब सिनेमाघरों में पॉपकॉर्न की बजाय वडापाव और दही मिसल मिलेगा। उस राज्य के लोगों के लिए आभार व्यक्त करने का एक बेहतरीन तरीका, जहां आपका जन्म हुआ। यदि किसी अन्य ने इस तरह की टिप्पणी की होती तो यह समझ में आता। लेकिन दुख की बात है कि एक मराठी महिला ऐसा कर रही है।”
शोभा डे की ‘दादागीरी’ वाली टिप्पणी पर निशान साधते हुए पार्टी ने कहा कि यदि पूर्व में छत्रपति शिवाजी और पार्टी के दिवंगत संस्थापक बाल ठाकरे ने दादागीरी नहीं दिखाई होती तो ‘शोभा आंटी’ के सभी पूर्वज और वंशज पाकिस्तान में पैदा हुए होते और वह शायद बुर्का पहन कर पेज-थ्री पार्टियों में शामिल होतीं।
फिल्म निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट ने फड़णवीस सरकार के फैसले को वोटबैंक से जोड़ा है। उनके बयान पर सवाल उठाते हुए शिवसेना ने कहा, “तो क्या? यदि हम मराठियों को खुश नहीं करेंगे तो क्या हमें ओवैसी की मदद करनी चाहिए? आप उस समय आपत्ति नहीं उठाते, जब अन्य पार्टियां मुस्लिम वोटबैंक को लुभाते हैं। लेकिन जब मराठियों के हित से जुड़े मुद्दे पर उंगली उठाते हैं।”
शोभा डे के व्यंग्य को सुझाव मानते हुए इस बीच शिवसेना ने सरकार से मल्टीप्लेक्स सिनेमाघरों के भीतर सिर्फ वडापाव और दही मिसल उपलब्ध कराने का आग्रह किया।
पार्टी ने कहा, “शोभा डे ने महाराष्ट्र की खाद्य संस्कृति का अपमान किया है। वह बहुत तीखा बोलती हैं। दही मिसल खाएंगी उनकी जबान को आराम पहुंचेगा।”