सोमवार को कांग्रेस ने कहा कि पहनावे से साधु दिखने वाले रामदेव कब क्या कहें, कोई भरोसा नहीं है। वहीं राकांपा ने कहा कि बाबा योगगुरु से अब व्यापारी बन गए हैं। वह पहले भी भाजपा के एजेंट थे और आज भी हैं।
बाबा रामदेव दो दिन पहले लखनऊ में अपने आउटलेट का उद्घाटन करने आए थे। पत्रकारों ने उनसे पूछा था कि ‘कालेधन की अभी तक वापसी नहीं हो पाई है, जबकि आपने कहा था कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो 15 दिनों के भीतर कालाधन वापस आएगा। डेढ़ साल से ज्यादा बीत गए, क्या इस मुद्दे को लेकर आप आवाज नहीं उठाएंगे?’
बाबा ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “कालेधन को लेकर अभी आवाज उठाएंगे तो कहा जाएगा कि मैं सबसे लड़ता रहता हूं।”
उनके इस बयान की आलोचना करते हुए राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष के.के. शर्मा ने कहा कि बाबा रामदेव ने संप्रग सरकार के अच्छे कामों को मटियामेट करने के लिए ही कालेधन का मुद्दा उठाया था। उनका मकसद पूरा हो गया, अब चुप हैं।
उन्होंने कहा कि रामदेव पहले भी भाजपा के एजेंट थे और आज भी बतौर एजेंट कार्य कर रहे हैं। कालेधन के खिलाफ हल्ला बोलने के पीछे बाबा की मंशा सिर्फ और सिर्फ संप्रग सरकार को अस्थिर करने का प्रयास था।
शर्मा ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय मोदी ने कालाधन वापसी के मुद्दे पर वोट मांगा था, जनता ने इस बात पर उन्हें वोट भी दिया, लेकिन आज जब वक्त आया तो वह बगलें झांक रहे हैं। यह दोहरी राजनीति है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि योग सिखाते-सिखाते बाबा रामदेव व्यापारी बन गए हैं।
उप्र कांग्रेस कमेटी के मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के उपाध्यक्ष वीरेंद्र मदान ने कहा कि जिस व्यक्ति का आप नाम ले रहे हैं, वह कब और क्या कह देगा, इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि यह सही है कि मोदी सरकार ने अभी तक एक भी वायद पूरा नहीं किया है। मोदी सरकार के मंत्री ही उनकी बातों को ‘जुमला’ करार दे रहे हैं। ऐसे लोगों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती।
भाजपा की नीतियों की आलोचना करते हुए मदान ने कहा कि पहनावे से साधु दिखने वाला व्यक्ति भी इन्हीं लोगों के बीच का है।