नई दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। देशभर के चिकित्सकों एवं विशेषज्ञों ने हेपेटाइटिस-सी की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए एकीकृत कार्ययोजना की जरूरत का प्रबल समर्थन किया है।
हेपेटाइटिस-सी के उपचार के लिए एंटीवायरल दवाओं की सुलभता पर जोर देने के साथ विशेषज्ञों ने कहा कि इस समस्या के लिए सरकार ने इजाद नई एवं ज्यादा कारगर डीएए दवाओं का पूरा लाभ उठाने की दिशा में अब तक पूरे प्रयास नहीं किए हैं।
सर गंगाराम हॉस्पिटल के जठरांत्र और यकृत रोग विज्ञान विभाग के चेयरमैन अनिल अरोड़ा के अनुसार, “हेपेटाइटिस-सी वायरस (एचसीवी) की खोज हुए मात्र 20 वर्ष हुए हैं और इतनी छोटी अवधि में ही यह दुनिया की सर्वाधिक चिंताजनक स्वास्थ्य समस्या का रूप ले लिया है। अच्छी खबर यह है कि एंटी एचसीवी थेरेपी के क्षेत्र में सोफोस्बुविर जैसे 90 फीसदी अधिक प्रभावी डीएए एजेंट की खोज हो चुकी है। इस औषधि का जेनरिक संस्करण बहुत कम कीमत में उपलब्ध है।”
गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षो में एचसीवी संक्रमण के उपचार की दिशा में काफी तरक्की हो चुकी है। परंपरागत इंजेक्शन की बजाय गोली के रूप में खोजी गई नई औषधि ने एचसीवी के उपचार में क्रांति ला दी है। परंपरागत उपचार की अपेक्षा इसमें न सिर्फ खर्च कम हो गया है, बल्कि इस औषधि के साइट इफेक्ट भी न्यून हैं।
भारत दुनिया में एचसीवी संक्रमण के मामले में काफी ऊपर है। भारत में हर साल हेपेटाइटिस-सी के कारण लगभग 96,000 लोगों की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट ‘ग्लोबल पॉलिसी रिपोर्ट ऑन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ वायरल हेपेटाइटिस’ के मुताबिक यह एक छिपी महामारी बन चुका है।
एचसीवी संक्रमण के उपचार की दिशा में सबसे बड़ी रुकावट यह है कि आखिरी चरण तक इसके स्पष्ट लक्षण प्रकट नहीं होते। अप्रैल, 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें बताया गया था कि एचसीवी से संक्रमित ज्यादातर लोगों ने इस बीमारी का नाम तक नहीं सुना था। जागरूकता न होने और बीमारी के लक्षणों की जानकारी के अभाव की वजह से रोगियों द्वारा जांच दर कम रही।
अनिल अरोड़ा ने कहा, “मैं चिकित्सक समुदाय से अनुरोध करना चाहता हूं कि वे इस नए उपचार को एचसीवी रोगियों को उपलब्ध कराने का पूरा प्रयास करें। इस इलाज की उपलब्धता के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा जरूरतमंदों तक इसे पहुंचाने के लिए ठोस योजना बनाना जरूरी है।”
पश्चिम बंगाल स्थित लीवर फाउंडेशन के परियोजना निदेशक पार्थ सारथी मुखर्जी ने कहा, “भारत में एचसीवी के उपचार और इलाज की चुनौतियों से निपटने का पहला कदम यह होना चाहिए कि रोगियों को सोफोस्बुविर जैसे बेहद कारगर एवं सस्ते उपचार की जानकारी देने के हरसंभव प्रयास किए जाएं। दूसरा महत्वपूर्ण कदम यह है कि एचसीवी से संक्रमित सभी या मुख्य इलाकों में ये दवाएं सुलभ बनाया जाए।”