नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। भारत में महज 5 साल में ही रोबोटिक सर्जरी ने अपनी उपयोगिता साबित की है। इसलिए सरकार को इसकी उपयोगिता जन-जन तक पहुंचाने के प्रयास करने चाहिए। यह कहना है कुछ शीर्ष के सर्जनों का।
नई दिल्ली, 17 मार्च (आईएएनएस)। भारत में महज 5 साल में ही रोबोटिक सर्जरी ने अपनी उपयोगिता साबित की है। इसलिए सरकार को इसकी उपयोगिता जन-जन तक पहुंचाने के प्रयास करने चाहिए। यह कहना है कुछ शीर्ष के सर्जनों का।
कैंसर सहित बहुत सारी बीमारियों में रोबोटिक सर्जरी से इलाज के दौरान कम से कम खून का नुकसान होता है, मरीज जल्दी सामान्य होता है और उसे अस्पताल में भी कम वक्त बिताना पड़ता है।
अमेरिका की एक गैर सरकारी संगठन वतीकुट्टी फाउंडेशन जो दुनियाभर में रोबोटिक सर्जरी का प्रचार करता है। फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. महेंद्र भंडारी का कहना है, “केंद्र और राज्य सरकारों को प्रमुख मेडिकल संस्थानों जैसे एम्स, पीजीआई और देशभर के 200 मेडिकल कॉलेजों में रोबोटिक सर्जरी इकाई स्थापित करनी चाहिए ताकि जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल सके।”
वर्तमान में 30 स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि सरल लैप्रोस्कोपिक और लिथोट्राप्सी प्रक्रिया में अब कई जगहों पर इसका इस्तेमाल होने लगा है।
उत्तरी भारत में 12 अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल होता है जिनमें एम्स, अपोलो, मैक्स, राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, सर गंगा राम अस्पताल, फोर्टिस और मेदांता शामिल है।
रोबोटिक सर्जरी का फायदा यह है कि इससे 360 डिग्री तक मोड़ा जा सकता है, जिससे रोगग्रस्त हिस्सों से आसानी ने पहुंचा जा सकता है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉ. अरुण प्रसाद का कहना है, “सामान्य तरीके से लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में जहां एक महीने तक आराम करना होता था, वहीं रोबोटिक सर्जरी करवाने से मरीज 2-3 दिन में ही घर जा सकता है।”
साकेत स्थित मैक्स कैंसर सेंटर के यूरोलॉजिक ओंकोलॉजी एवं रोबोटिक सर्जरी के प्रमुख डॉ. गगन गौतम का कहना है, “रोबोटिक सर्जरी से मरीज जल्दी ठीक होते हैं, उन्हें अपेक्षाकृत कम दर्द होता है और सामान्य सर्जरी की अपेक्षा कम जटिलताएं देखने को मिलती हैं।”
सर गंगाराम अस्पताल के लैप्रोस्कोपिक एवं ओबेसिटी सर्जन डॉ. तरुण मित्तल का कहना है, “सरकार को रोबोटिक सर्जरी के बारे में जागरुकता पैदा करना चाहिए, खासतौर पर इसकी सफलता दर को देखते हुए। वे इस पर सब्सिडी देकर इसे मेक इन इंडिया अभियान का भी इसे हिस्सा बना सकते हैं, ताकि इसका लाभ आम लोगों को मिल सके।”
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. संजय गोगोई का कहना है, “सरकार को रोबोटिक सर्जरी से जुड़ी मशीनों पर आयात शुल्क में कटौती करनी चाहिए। इससे इसके इलाज पर होने वाले खर्च में उल्लेखनीय कमी आएगी।”