नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ‘वन रैंक वन पेंशन’ की पूर्व सैन्यकर्मियों की लंबे समय से की जा रही मांग ‘सैद्धांतिक रूप से मंजूर’ करने की बात कही, लेकिन पूर्व सैन्यकर्मियों ने इस पर निराशा जताई और इसके क्रियान्वयन की घोषणा नहीं किए जाने के विरोध में प्रदर्शन व नारेबाजी की।
ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि स्वतंत्रता दिवस पर मोदी इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर कोई घोषणा करेंगे, लेकिन उन्होंने इस पर अपनी सरकार के रुख को केवल दोहराया।
मोदी के इस रुख से नाखुश पूर्व सैन्य कर्मियों ने 15 अगस्त, 2015 को ‘काला दिवस’ करार दिया और कहा कि अपनी मांगों को लेकर जो लोग 15 जून से ही क्रमिक भूख हड़ताल पर हैं, वे उन्हें आमरण अनशन से नहीं रोकेंगे।
मोदी ने शनिवार को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार ने सैद्धांतिक रूप से ‘वन रैंक वन पेंशन’ को मंजूरी दे दी है, इस पर बातचीत जारी है और उन्हें इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “मैं एक बार फिर आश्वस्त करता हूं, यह एक व्यक्ति की बात नहीं है, बल्कि मैं 125 करोड़ लोगों की ओर से, तिरंगे के नीचे, लाल किले की प्राचीर से यह घोषणा करता हूं कि हमने ‘वन रैंक वन पेंशन’ को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है। बातचीत की प्रक्रिया जारी है।”
मोदी ने कहा, “देश के नागरिक हमारे जवानों की वजह से ही शांतिपूर्वक सो पाते हैं। 125 करोड़ लोगों की टीम इंडिया के लिए सैनिक राष्ट्रीय संसाधन हैं।”
उन्होंने कहा, “बहुत सी सरकारें आईं और सभी के सामने ‘वन रैंक वन पेंशन’ का मुद्दा आया। सभी ने वादे किए, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया।”
प्रधानमंत्री के यह कहने के बाद इधर जंतर-मंतर पर प्रदर्शनरत पूर्व सैन्यकर्मियों ने ‘शर्म करो, शर्म करो’ के नारे लगाना शुरू कर दिया।
प्रधानमंत्री द्वारा ‘वन रैंक वन पेंशन’ के क्रियान्वयन की घोषणा नहीं किए जाने से नाराज पूर्व सैन्यकर्मियों के संगठन युनाइटेड एक्स-सर्विसमेन फ्रंट के प्रवक्ता कर्नल (सेवानिवृत्त) अनिल कौल ने आईएएनएस से कहा, “हमें इस सरकार से उम्मीदें थी। हम बहुत निराश हुए हैं।”
उन्होंने कहा, “यह दुखद है। जिन लोगों ने 68 साल से देश की सीमाओं की रक्षा की, उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा।”
पूर्व सैन्यकर्मियों को शुक्रवार को जंतर-मंतर से हटाने के लिए पुलिस और निकाय कर्मियों के बर्ताव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “कल (शुक्रवार) जो कुछ भी हुआ उस पर न तो प्रधानमंत्री और न राष्ट्रपति ने कुछ कहा।”
बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप पर पूर्व सैन्य कर्मियों को प्रदर्शन जारी रखने की अनुमति दी गई थी।
पूर्व सैन्यकर्मियों को जैसे ही पता चला कि मोदी ‘वन रैंक वन पेंशन’ के क्रियान्वयन की घोषणा नहीं करने जा रहे, जिसका वे लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं तो वे जंतर-मंतर पर अपने स्थानों पर खड़े हो गए और नारेबाजी करने लगे।
कुछ लोगों ने ‘शर्म करो, शर्म करो’ के नारे लगाए, जबकि कुछ ने गुस्से में घूंसे दिखाए।
एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि यह पूर्व सैन्यकर्मियों के लिए ‘काला स्वतंत्रता दिवस है’ और उनके दिल टूट गए हैं।
युनाइटेड एक्स-सर्विसमेन फ्रंट के प्रवक्ता ने कहा कि प्रदर्शन अब और जोर पकड़ेगा। उन्होंने कहा, “हम इसे बिहार और पंजाब ले जाएंगे.. वन रैंक, वन पेंशन की राह में जो भी मंत्री या सांसद आएंगे, हम उनका घेराव करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व सैन्यकर्मी काली पट्टी बांधेंगे और अपने वाहनों पर काला झंडा लगाएंगे।
कौल ने कहा, “हम उन पूर्व सैन्यकर्मियों को नहीं रोकेंगे, जो अपनी मांग को लेकर आमरण अनशन करना चाहते हैं। हमने 15 अगस्त, 2015 को ‘काला दिवस’ घोषित किया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि तीन पूर्व सैन्य अधिकारियों सहित 21 पूर्व सैनिक हैं, जो आमरण अनशन पर जाने के लिए तैयार हैं।
देश में करीब 24 लाख सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी और जवानों की 6.5 लाख विधवाएं हैं, जिन्हें ‘वन रैंक वन पेंशन’ का लाभ मिलेगा।