नई दिल्ली, 16 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को वाट्सएप और फेसबुक उपयोगकर्ताओं की संदेश सामग्री की निजता की सुरक्षा के लिए नियमन की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।
अदालत ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई), ऑनलाइन संदेश सेवा वाट्सएप और सोशल नेटवर्किं ग साइट फेसबुक को भी नोटिस जारी किए हैं।
याचिकाकर्ता कर्मण्या सिंह सरीन और श्रेया सिंघल ने तर्क दिया कि वाट्सएप की नई नीति के तहत कंपनी संदेश सामग्री को देख, पढ़, साझा और इसका व्यावसायिक इस्तेमाल कर सकती है।
इस पर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, “कोई व्यक्ति निजी सेवा प्रदान कर रहा है। आप इसे लें या न लें.. यह आपका अधिकार है।”
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने अदालत से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत जनता के अधिकार और निजता की रक्षा का दायित्व सरकार का है।”
चूंकि वाट्सएप की नई नीति साइट के उपयोगकर्ता की निजिता को प्रभावित करती है, इसलिए साल्वे ने इस मामले में अदालत से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने कहा कि संदेश सेवा कंपनी जब कभी अपनी शर्तो को बदलेगी तो वह अपने उपयोकर्ताओं को सूचित करेगी।
अदालत से दो लोगों के बीच निजी बातचीत को सुरक्षा प्रदान किए जाने की बात कहते हुए साल्वे ने कहा कि इसको लेकर ट्राई कुछ भी नहीं कर रहा है और ऑनलाइन संदेश साइट और सोशल नेटवर्किं ग साइट को नियमित करना सरकार का दायित्व है।
अदालत से कहा गया कि ट्राई ने एक शर्त रखी है, जिसके तहत अगर आप सरकार की अनुमति के बिना एक कॉल को मार्ग में अवरूद्ध करते हैं तो आप पर मुकदमा चलाया जाएगा।
सिंघल और सरीन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के गत साल 23 सितंबर के आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें वाट्सएप को उसकी नई नीति जारी करने की अनुमति दी गई है। लेकिन अदालत ने कहा कि वह अपने उपयोगकर्ता के 25 सितम्बर तक फेसबुक या अन्य संबंधित कंपनी से संग्रहीत डाटा को साझा नहीं कर सकता है।
उच्च न्यायालय ने आगे निर्देश दिया कि नई नीति के लागू होने पर तुरंत संदेश एप छोड़ने वाले उपयोगकर्ता के सभी डाटा को वाट्सएप पूर्ण रूप से विलोपित करेगा।