संयुक्त राष्ट्र, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। दुनिया के अलग-अलग देशों में चल रहे संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भागीदारी बढ़ाने की राष्ट्रपति बराक ओबामा की अपील का असर हुआ है। 50 देशों ने वादा किया है कि वे शांति अभियानों के लिए और सैनिक मुहैया कराएंगे। कुल मिलाकर 30,000 अतिरिक्त सैनिक शांति अभियानों से जुड़ने जा रहे हैं।
भारत ने भी 850 अतिरिक्त सैनिक देने का वादा किया है। अभी 6716 भारतीय सैनिक शांति अभियानों में भागीदारी निभा रहे हैं।
ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र में एक विशेष आयोजन कर संयुक्त राष्ट्र के दिक्कतों से घिरे शांति अभियानों में भागीदारी बढ़ाने की देशों से अपील की। आयोजन में कई देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया।
ओबामा ने कहा, “हम नई चुनौतियां देख रहे हैं। हम अधिक सशस्त्र संघर्ष, आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद द्वारा पोषित अधिक अस्थिरता तथा अधिक शरणार्थी देख रहे हैं।”
सबसे बड़े योगदान का ऐलान चीन ने किया। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि संकटग्रस्त जगहों के लिए चीन 8000 त्वरित तैनाती बल मुहैया कराएगा।
कोलंबिया भी बहुत पीछे नहीं रहा। उसने 5000 शांति सैनिक देने का वायदा किया।
ओबामा ने कहा, “हमारी साझी सुरक्षा की मांग है कि शांति मिशनों को मजबूत बनाया जाए। बहुत कम देशों पर सैनिकों को मुहैया कराने का असंगत बोझ पड़ा हुआ है। यह टिकेगा नहीं।”
अधिकांश शांति सैनिक विकासशील देशों से आ रहे हैं। बांग्लादेश सबसे आगे है। उसके 9432 सैनिक शांति मिशनों में लगे हुए हैं। इसके बाद इथोपिया का नंबर है, जिसके 8309 सैनिक शांति मिशनों का हिस्सा हैं।
शांति मिशनों के बारे में फैसला करने वाले सुरक्षा परिषद के सदस्य राष्ट्रों का योगदान इस दिशा में बेहद कम है। अमेरिका के 82, रूस के 79, फ्रांस के 909, ब्रिटेन के 289 और चीन के 3079 सैनिक शांति मिशन में लगे हुए हैं।
अन्य विकसित देशों का भी यही हाल है। नए वादों के बाद भी यह स्थिति बहुत बदलने नहीं जा रही है।