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 स्वच्छ भारत अभियान : एक साल में खूब बने शौचालय | dharmpath.com

Sunday , 8 June 2025

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स्वच्छ भारत अभियान : एक साल में खूब बने शौचालय

वर्षभर बाद ‘स्वच्छ भारत अभियान’ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। इसके प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता इस बात का प्रमाण है कि यह अभियान मात्र कागजों में सिमटकर रह जाने वाला नहीं है। इस अभियान में शामिल कई सामाजिक संस्थाएं तथा अन्य निकाय इस अभियान की रूपरेखा तथा इसकी उपलब्धियों के ढेर सारे आंकड़े पेश कर रहे हैं।

वर्षभर बाद ‘स्वच्छ भारत अभियान’ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। इसके प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता इस बात का प्रमाण है कि यह अभियान मात्र कागजों में सिमटकर रह जाने वाला नहीं है। इस अभियान में शामिल कई सामाजिक संस्थाएं तथा अन्य निकाय इस अभियान की रूपरेखा तथा इसकी उपलब्धियों के ढेर सारे आंकड़े पेश कर रहे हैं।

इस वर्ष अगस्त तक की रिपोर्टों के आधार पर गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा ने घरों में शौचालयों के निर्माण की दृष्टि से बेहतर प्रदर्शन किया है।

मार्च 2016 तक शहरी क्षेत्रों में 25 लाख घरों में शौचालयों के निर्माण का जो लक्ष्य है, उसमें से 16 लाख 45 हजार शौचालय उपयोग किये जाने शुरू हो चुके हैं और 4 लाख 65 हजार शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है।

कई राज्यों द्वारा इस दिशा में उत्साह दिखाया जा रहा है। इसके तहत शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक शौचालय के निर्माण के लिए केंद्र द्वारा दी जा रही 4000 रुपये की वित्तीय सहायता के अलावा 13 राज्य 4000 से लकर 13000 रुपये तक की अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करा रहे हैं।

शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक तथा सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के संबंध में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, मार्च 2016 तक एक लाख टॉयलेट सीटों के निर्माण के लक्ष्य के मुकाबले 94,653 टॉयलेट सीट उपयोग होनी शुरू हो चुकी हैं और 24,233 सीटों का निर्माण शुरू हो चुका है।

उत्तर प्रदेश, बिहार तथा तमिलनाडु के कुछ प्रमुख शहरों में हालांकि इस मुहिम ने अभी भी गति नहीं पकड़ी है। केरल तथा तमिलनाडु के साथ-साथ पांच केंद्र शासित प्रदेशों- अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दमन तथा दीव, दादरा तथा नगर हवेली और दिल्ली तथा चार पूर्वोत्तर राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय तथा त्रिपुरा में इस अभियान के तहत शौचालयों का निर्माण अभी शुरू भी नहीं हुआ है।

दरअसल, शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन इस अभियान का सबसे बड़ा हिस्सा है और इस वर्ष अगस्त तक देश के शहरी क्षेत्रों में कुल 78,003 वार्डो में से 31,593 में घर-घर से शत-प्रतिशत म्युनिसिपल ठोस कचरा एकत्र किया गया और यह अभियान मार्च 2016 तक घर-घर से 50 प्रतिशत ठोस कचरा एकत्र करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। ठोस कचरे की बात करें, तो शहरी क्षेत्रों से प्रति दिन उत्पन्न हो रहे 1,42,580 टन ठोस कचरे के 35 प्रतिशत की प्रोसेसिंग के लक्ष्य के मुकाबले, वर्तमान में 17.34 प्रतिशत की प्रोसेसिंग की जा रही है।

कुछ स्थानीय शहरी निकायों के विषय की बात करें तो गुजरात में सूरत तथा मोर्बी में क्रमश: 6,634 तथा 3,028 व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण का अभियान का लक्ष्य पहले ही पूरा किया जा चुका है। गुजरात में अहमदाबाद तथा महिसागर भी क्रमश: 22,562 तथा 3,028 शौचालयों के निर्माण के लक्ष्य के काफी नजदीक पहुंच चुके हैं।

ठोस कचरा प्रबंधन की दृष्टि से, चंडीगढ़ अच्छे प्रदर्शकों की सूची में सबसे ऊपर है, जहां ठोस कचरे की प्रोसेसिंग शत-प्रतिशत हो रही है। 58 प्रतिशत के साथ मेघालय दूसरे स्थान पर है और उसके बाद दिल्ली (52 प्रतिशत), केरल तथा मणिपुर (50 प्रतिशत), तेलंगाना (48 प्रतिशत), कर्नाटक (34 प्रतिशत) तथा अंदमान एवं निकोबार (30 प्रतिशत) हैं। गुजरात में अहमदाबाद (64 वार्ड), सूरत (38 वार्ड), महिसागर (27 वार्ड) तथा मोर्बी (14 वार्ड) और अंदमान तथा निकोबार में 30 वार्डो में ठोस कचरे का शत-प्रतिशत डोर-टु-डोर कलेक्शन दर्ज किया गया है।

शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत 66,009 करोड़ रुपये की लागत पर 1.04 करोड़ व्यक्तिगत शौचालय तथा 5.28 लाख सामुदायिक तथा सार्वजनिक शौचालय सीटों का निर्माण और ठोस कचरे का शत-प्रतिशत डोर-टु-डोर कलेक्शन तथा इसका वैज्ञानिक तरीकों से निबटारा करने का लक्ष्य रखा गया है।

शहरी विकास मंत्रालय अब तक 30 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को 1.038.72 करोड़ रुपये जारी कर चुका है। केंद्र शासित प्रदेश- अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दमन तथा दीव, दादरा तथा नगर हवेली और पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के लिए अब तक कोई धनराशि जारी नहीं की गई है।

इन सबके बीच एक अहम बात पर गौर करें तो डेंगू तथा अन्य वायरल ज्वर उग्रता से हर साल नियमित रूप से हजारों-लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं। जाहिर है कि इनसे प्रभावपूर्ण ढंग से निबटने के लिए सफाई तथा स्वच्छता अभियानों जैसी पहलें और जन-जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने आवश्यक हैं।

भारत सरकार की एक प्रमुख पहल, स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य वर्ष 2019 तक राष्ट्र को गंदगी तथा खुले में शौच करने की पद्धति से मुक्त करना है। लोगों को इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के विषय में अधिक से अधिक जागरूक करके ही इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि इन रोगों का समाधान स्वच्छ वातावरण है और लोग स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता के प्रति जागरूक हो रहे हैं, इसे सराह रहे हैं। कई जगहों पर रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों ने स्वच्छता अभियान चलाए और स्वयं धन एकत्र कर फॉगिंग मशीनें खरीदी। (आईएएनएस/आईपीएन)

स्वच्छ भारत अभियान : एक साल में खूब बने शौचालय Reviewed by on . वर्षभर बाद 'स्वच्छ भारत अभियान' अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। इसके प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता इस बात का प्रमाण है कि यह अभियान मात्र कागजों में सिमटकर र वर्षभर बाद 'स्वच्छ भारत अभियान' अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। इसके प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता इस बात का प्रमाण है कि यह अभियान मात्र कागजों में सिमटकर र Rating:
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