कोलकाता, 19 फरवरी (आईएएनएस)। बौद्ध धर्म को तेजी के साथ हिंसा से जोड़ा जा रहा है और अब यह भारत और चीन के बीच एक संवेदनशील मुद्दे के रूप में उभर रहा है।
एक बौद्ध अध्ययन विशेषज्ञ के मुताबिक, “भारत और चीन के बीच बौद्ध धर्म एक संवेदनशील मुद्दा बनता जा रहा है।”
वेबस्टर विश्वविद्यालय (थाईलैंड कैंपस) में कला और विज्ञान संकाय के शोध सलाहकार और संकाय सदस्य क्लाउडियो सिकुजा ने बुधवार को आईएएनएस को बताया, “आजकल हिंसा के साथ बौद्ध धर्म को जोड़ना एक तरह का चलन बन गया है।”
सिकुजा ने बौद्ध धर्म पर कई किताबें लिखी हैं। उन्होंने विद्वानों के एक ऐसे वर्ग की ओर इशारा किया है, जिनकी प्रवृत्ति बौद्ध धर्म में हिंसा के पहलू को सामने लाने की रहती है।
मलेशिया में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा मुस्लिमों पर हमले की घटना का उल्लेख करते हुए कहा, “बहुत सारे ऐसे विद्वान हैं, विशेष रूप से पश्चिमी विद्वान जो इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। मैं इसे स्वीकार नहीं करता।”
यह विशेषज्ञ कलकत्ता विश्वविद्यालय के साथ बौद्ध अध्ययन, दक्षिण पूर्व एशिया अध्ययन और विदेश नीति व अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर सहयोग के लिए प्रतिनिधिमंडल समूह का हिस्सा थे।
सिकुजा के मुताबिक, एशियाई देशों को जोड़ने में बौद्ध धर्म की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने बल देकर कहा, “एशिया पश्चिमी लोगों की खोज था लेकिन बौद्ध धर्म ने एशिया का निर्माण किया है। बौद्ध धर्म ही भारत और अन्य देशों के बीच एक वास्तविक जुड़ाव का कारण रहा। इसे दोबारा जोड़ा जाना अत्यंत आवश्यक है और पश्चिम बंगाल इसमे बड़ी भूमिका निभा सकता है।”
कलकत्ता विश्वविद्यालय के पाली विभाग के मणिकुंटाला हाल्डर के मुताबिक, धर्म मानव अधिकारों के क्षेत्र में भी महत्व रखता है।