शिमला, 13 दिसम्बर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश सरकार को राज्य में वायु और ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने के निर्देश दिए।
राज्य सरकार को माल रोड सहित शिमला की प्रतिबंधित सड़कों पर कार्बन का उत्सर्जन करने वाले प्रत्येक वाहन पर ‘हरित कर’ के रूप में 500 रुपये जुर्माना लगाने का आदेश दिया है।
न्यायाधिकरण ने सरकार से कार्ट रोड पर एकतरफा यातायात लागू करने पर भी विचार करने के लिए कहा है।
न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की पीठ ने कहा, “इस संबंध में पहले ही कुछ कदम उठाने की जरूरत थी। लेकिन यदि अब तक नहीं किया गया है तो अब इसे करने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं, जब शिमला के वायु की गुणवत्ता खराब हो जाएगी, जिसका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।”
पीठ ने कहा, “यह आम जानकारी की बात है कि वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है, विशेषकर शिमला में। यातायात की भीड़ प्रदूषण को बढ़ावा देने में बड़ा योगदान देती है।”
न्यायाधिकरण ने राज्य सरकार को शिमला के प्रमुख स्थानों पर ‘डिसप्ले बोर्ड’ लगाने और ‘साइलेंस जोन’ घोषित करने का आदेश दिया। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि किसी भी प्रक्रिया से ध्वनि प्रदूषण न उत्पन्न हो, यहां तक कि वाहनों के हॉर्न से भी नहीं।
न्यायाधिकरण ने यह आदेश भी दिया कि वह कार्ट रोड पर सुचारु यातायात सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्रतिबंधित सड़कों पर पार्किं ग भी न होने दे।
एनजीटी ने हिमाचल सरकार से तीन महीनों के भीतर सभी प्रतिबंधित सड़कों पर चलने वाले वाहनों के परमिट की समीक्षा करने के लिए कहा।
एनजीटी ने 13 पृष्ठों के अपने आदेश में राज्य सरकार से उसके निर्देशों का तुरंत पालन करने के लिए कहा है।
इससे पहले हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी यहां की प्रतिबंधित सड़कों पर वाहन-मुक्त क्षेत्र होने के बावजूद वाहनों को चलने देने की अनुमति पर राज्य सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी।
न्यायालय ने राज्य सरकार से शिमला सड़क उपयोगकर्ताओं और पैदल यात्री (सार्वजनिक सुरक्षा एवं सुविधा) 2007 के अधिनियम को लागू करने की दिशा में उठाए गए कदमों पर भी जवाब मांगा था।