नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उड़ी कस्बे में 18 सितंबर को हुए आतंकवादी हमले के बाद लोकप्रिय पाकिस्तानी गायक शफकत अमानत अली का बेंगलुरू में प्रस्तावित संगीत कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। लेकिन उन्होंने पूरे मनोरंजन-जगत के पक्ष में खुद को खड़ा करते हुए कहा है कि दोनों देशों के कलाकार आतंकवाद के खिलाफ हैं।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर के उड़ी कस्बे में 18 सितंबर को हुए आतंकवादी हमले के बाद लोकप्रिय पाकिस्तानी गायक शफकत अमानत अली का बेंगलुरू में प्रस्तावित संगीत कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। लेकिन उन्होंने पूरे मनोरंजन-जगत के पक्ष में खुद को खड़ा करते हुए कहा है कि दोनों देशों के कलाकार आतंकवाद के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा है कि दुनिया में कलाकार कहीं के भी हों, लेकिन वे आतंकवाद के खिलाफ हैं।
भारत में कुछ लोगों का कहना है कि उड़ी में 19 भारतीय सैनिकों की मौत की इस जघन्य घटना की पाकिस्तानी कलाकार निंदा नहीं करना चाहते। इस बारे में सफकत क्या सोचते हैं?
लाहौर निवासी इस गायक ने ईमेल के जरिए हुई बातचीत में आईएएनएस से कहा, “यह सब पाकिस्तान पर जारी दोषारोपण के कारण शुरू हुआ। कोई भी कलाकार अपने देश के खिलाफ इस तरह की बातें सुनना पसंद नहीं करेगा, इसी कारण सभी मौन हो गए।”
सफकत शाहरुख खान और अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं की भूमिकाओं वाली फिल्मों में गीतों को अपनी आवाज दे चुके हैं।
उन्होंने कहा, “लेकिन वे निश्चित तौर पर उड़ी में या कहीं भी आतंकवादी हमले की निंदा करते हैं। भारत, पाकिस्तान या कहीं के भी कलाकार आतंकवाद के खिलाफ हैं। लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद उन्होंने अपने को बचाव की स्थिति में महसूस किया, इसलिए सभी मौन हो गए।”
पाकिस्तान के तमाम कलाकारों ने इस मुद्दे पर मौन साध लिया, लेकिन ‘जुनून’ फेम सलमान अहमद ने आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में दोनों पड़ोसी देशों के बीच बिगड़ते संबंधों के बारे में कड़ा रुख अख्तियार किया था। उन्होंने कहा था कि हाल की घटनाओं के बाद कलाकारों और संस्कृति के आदान-प्रदान पर प्रतिबंध लगाना आतंकवादियों और चरमपंथियों की एक तरह से जीत है।
उल्लेखनीय है कि उड़ी हमले के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने पाकिस्तानी कलाकारों को देश छोड़ने की चेतावनी दी थी। इसके बाद बेंगलुरू में 30 सितंबर को प्रस्तावित शफकत का कार्यक्रम भी रद्द हो गया था।
इस पर उन्होंने कहा, “आतंकी हमले के बाद इस बात की पूरी संभावना बन गई थी कि ऐसा (उनका कार्यक्रम रद्द होना) हर हाल में होगा। मैं मानसिक रूप से तैयार था कि इतने तनाव भरे वातावरण में संगीत कार्यक्रम का कोई मतलब नहीं होगा और इसे स्थगित होना है। हमले के कुछ ही दिनों बाद आयोजकों के साथ ऐसा निर्णय लिया गया। लेकिन जब पाकिस्तानी कलाकारों को कोसने का अभियान शुरू हुआ तो मुझे पता चला कि इसे फिलहाल रद्द कर दिया जाएगा।”
बात यहीं नहीं रुकी। शफकत के साथी पाकिस्तानी कलाकार आतिफ असलम का कार्यक्रम भी गुड़गाव में रद्द कर दिया गया। यही नहीं, इंडियन मोशन पिक्च र प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर भारतीय फिल्मों में पाकिस्तानी कलाकारों के काम करने पर रोक लगा दी।
लेकिन शफकत अभी भी मानते हैं कि कला और संस्कृति की कोई सीमा नहीं होती।
उन्होंने कहा, “इसकी शुरुआत चरमपंथी समूहों द्वारा कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने से हुआ और उसके बाद यह स्थिति और बदतर होती गई, और दोनों देशों की संस्थाओं और चैनलों ने प्रतिक्रियास्वरूप इसी तरह के कदम उठाए। लेकिन मैं अभी भी कहता हूं कि कला और संस्कृति की कोई सीमा नहीं होती है।”
शफकत मानते हैं कि नफरत कुछ समय के लिए अवरोध पैदा कर सकती है। “मैं अभी भी आशावान हूं कि शांति कायम होगी और दोनों पक्षों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में आया यह विराम समाप्त होगा, और आदान-प्रदान फिर से शुरू हो जाएगा।”
‘तेरे नैना’, ‘मितवा’ और ‘तेरी झुकी नजर’ जैसे लेाकप्रिय गीतों को अपनी आवाज दे चुके शफकत से पूछा गया कि क्या वह भारत में कार्यक्रम पेश करना चाहते हैं?
उन्होंने कहा, “मुझे आशा है और प्रार्थना भी कर रहा हूं कि ये हालात सुलझ जाएं। मैं दोनों देशों के बीच शांति देखना चाहता हूं। शांति कायम हो जाने के बाद मैं भारत में भारतीय कला प्रेमियों के लिए कार्यक्रम पेश करना चाहूंगा, क्योंकि मुझे भारतीय कला प्रेमियों से हमेशा ढेर सारा प्यार मिला है।”
शफकत ने भारत और पाकिस्तान के लोगों से आग्रह भी किया है कि वे यथासंभव अधिक से अधिक सकारात्मकता का प्रसार करें, और दोनों देशों के बीच शांति के लिए मिलकर प्रार्थना करें।