एक महीने के सर्वेक्षण में कुल 80 अवैध पुलिस बूथ पाए गए हैं। जनवरी में हुई कायर्कारिणी की बैठक में शहर में अवैध पुलिस बूथ निर्मित किए जाने पर पार्षदों ने जमकर हंगामा किया था। इसके बाद बूथों को चिह्न्ति व सर्वे करने के लिए एक टीम बनाई गई थी।
टीम ने सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंप दी है। वहीं निगम अधिकारियों का आरोप है कि पुलिस द्वारा बिना सूचना के ही निजी एजेंसियों से बूथ बनवा लिए, साथ ही प्रचार प्रसार के लिए विज्ञापन भी लगवा दिए गए। अब पूरा खेल होने के बाद निगम से बूथ के लिए एनओसी मांगी जा रही है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, पुलिस बूथ की आड़ में प्रचार एजेंसियों को मालामाल किया जा रहा है।
शहर में पुलिस के अवैध बूथों का मामला नया नहीं है। इसके पूर्व भी शहर के प्रमुख चौराहों के साथ कम भीड़भाड़ वाले चौराहों पर भी एक के बदले दो और दो से चार बूथों के निर्माण करा दिए गए। यहीं नहीं, निर्मित कराने के साथ ही उन पर विज्ञापन भी चस्पा कर दिए गए। इससे निगम के विज्ञापन के जरिये मिलने वाले राजस्व में जमकर नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इन सभी बातों को संज्ञान में लेते हुए फरवरी महीने में अपर नगर आयुक्त अवैध बूथों के हटाए जाने संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा गया था, लेकिन ये बूथ अभी तक हटाए नहीं जा सके हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इन बूथों पर लगे विज्ञापन के एवज में कंपनियों से होने वाले करार का मुनाफा कुछ पुलिस अफसरों की जेब में पहुंच रहा है।
विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, हाल ही में निगम को पुलिस विभाग द्वारा पत्र भेजा गया है। इसके माध्यम से पुलिस बूथ बनाए जाने की अनुमति मांगी गई है। वहीं नगर निगम की प्रचार उप समिति के सदस्य मुकेश सिंह चौहान के मुताबिक, कई जगह पुलिस बूथ का का निर्माण पहले ही करा लिया। अब एनओसी की मांग दिखावे के लिए की जा रही है।
प्रचार समिति के सदस्यों का आरोप है कि ये सभी खेल निजी प्रचार एजेंसियों को लाभ दिलाने के लिए खेले जा रहे हैं।