नई दिल्ली, 21 मई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अच्छे दिन का वादा अब भ्रम से दुस्वप्न में बदलता जा रहा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने गुरुवार को एक संपादकीय में यह बात कही।
पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी में प्रकाशित संपादकीय के मुताबिक मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल में भारत दो भागों में बंटता दिखाई दिया है।
संपादकीय में पार्टी ने मोदी सरकार के उस दावे की भी खिल्ली उड़ाई जिसमें कहा गया है कि उसके एक साल के कार्यकाल में एक भी घोटाला सामने नहीं आया है।
पार्टी ने पूछा, “क्या किसी को संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील सरकार) के कार्यकाल के पहले चार सालों का कोई घोटाला याद है? तेजी से अपने करीबियों के साथ पूंजीवाद की ओर बढ़ रही सरकार के इस दावे की सच्चाई समय बताएगा।”
‘तिहरा खतरा’ नाम के इस संपादकीय में कहा गया है कि मोदी सरकार की छवि को इस तरह से चित्रित करने के ठोस प्रयास किए जा रहे हैं जैसे कि भारत का पुनरुत्थान करने में केवल वही सक्षम हैं।
संपादकीय के मुताबिक, वास्तव में सरकार आर्थिक सुधारों की नव-उदारवादी नीतियों को शुरू कर रही है, लगातार देश की धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक नींव पर हमला कर रही है और लोकतांत्रिक संस्थाओं को धीरे-धीरे खत्म करती जा रही है।
पार्टी ने संपादकीय में कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख क्षेत्रों में अब अधिक से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे दी गई है।”
संपादकीय के मुताबिक, “तेजी से लाभ बढ़ाने के लिए अचल संपत्ति घरेलू और विदेशी कंपनियों को सौंपकर सरकार किसानों के विशाल वर्ग को बर्बाद करने के एजेंडे को बढ़ा रही है।”
संपादकीय में कहा गया कि देश में कृषि संकट गहराया है और इससे किसानों की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। श्रमिकों की स्थिति भी कुछ बेहतर नहीं है।
वहीं दूसरी ओर पूंजीपति और अमीर होते जा रहे हैं। फोर्ब्स की 2014 में जारी सूची के मुताबिक भारत के 100 सबसे अमीर व्यक्ति अरबपति हैं। (एक अरब डॉलर करीब 6400 करोड़ रुपये होता है।)
संपादकीय के मुताबिक, “2011 में इसी सूची में भारत के अरबपतियों की संख्या 55 थी। इन 100 अरबपतियों की कुल संपत्ति 34,600 करोड़ डॉलर है।”