भोपाल, 2 जुलाई (आईएएनएस)। फिल्म अभिनेत्री प्रियका चोपड़ा अपनी सेहत के प्रति सजग हैं, उनका कहना है कि उन्हें फिल्मों के किरदार के मुताबिक शारीरिक बनावट (शेप) में बदलाव करना पड़ता है, मगर वे खाने से समझौता नहीं करती, क्योंकि कम खाना खाने से कोई दुबला नहीं होता।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गुरुवार को बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ के सदभावना राजदूत (गुडविल एम्बेसडर) के तौर पर संवाददाता सम्मेलन में चोपड़ा ने किशोरावस्था में बढ़ती एनिमिया की समस्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अच्छी सेहत के लिए संतुलित खाना आवश्यक है, भोजन ऐसा हो जिसमें सारे तत्व मौजूद हों।
उन्होंने कहा कि उन्हें फिल्मों के किरदार के मुताबिक शेप मेंटेन करना होता है, फिल्म ‘मेरी कॉम’ हो या कगंगाजल-दो’ के अनुसार अपने शरीर को बनाया मगर ऐसा नहीं हुआ कि उन्होने खाना बंद कर दिया हो। शरीर की जरूरत को ध्यान में रखकर खाना जारी रखा।
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में भारत सबसे युवा देश है, यहां की 60 प्रतिशत आबादी युवा है, वे जब किसी दूसरे देश में होती हैं तो उनसे सवाल किए जाते हैं, इसलिए जरुरी है कि देश का युवा अपनी पूरी क्षमता दिखाए, तभी हम आगे बढ़ेंगे और विकास कर सकेंगे, मगर इन युवाओं की आबादी का एक बड़ा हिस्सा एनिमिया (खून की कमी) से पीड़ित है। उसकी लंबाई नहीं रही, उसका विकास नहीं हो रहा, खाने पर ध्यान नहीं है, बच्चे चिप्स खा लेते हैं।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए प्रिंयका ने कहा कि यूनिसेफ और भारत सरकार ने किशोरों में एनिमिया की समस्या को दूर करने के लिए अभियान चलाया है, आयरन की गोली और फॉलिक एसिड दिया जा रहा है। इसे लेने में किसी तरह की परेशानी नहीं होना चाहिए, यह दवाएं मुफ्त में दी जा रही है।
उन्होंने समाज के पढ़े लिखे तबके से अपील की है कि वे स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागृति लाने के लिए आगे आएं। अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि आठ वर्ष पूर्व उन्होंने मुम्बई की झोपड़पट्टी (स्लम) में 25 किशोरियों के बीच दीपशिखा कार्यक्रम शुरू किया था आज उससे 40 हजार किशोरियां जुड़ गई है। यूनिसेफ जैसी संस्थाएं किशोरों के लिए काम कर रही हैं, इसके लिए पढ़े लिखे तबके को भी आगे आना चाहिए।