छत्तीसगढ़ की राजधानी से लगे ग्राम पंचायत मुजगहन में किसी को 50 हजार, 44 हजार, 42 हजार तो किसी को 11 हजार रुपये का बिजली बिल विद्युत विभाग ने थमाया है। इतना ही नहीं, 9 यूनिट की बिजली खपत वाले घर में 5 हजार रुपये का बिल दे दिया गया है। भारी-भरकम बिल देखकर किसानों व मजदूरों ने सरपंच को अपना दुखड़ा सुनाया। सरपंच ने ग्रामीणों के साथ जाकर विद्युत विभाग का घेराव करने की बात कही है।
रायपुर से महज 13 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत मुजगहन में खेती-किसानी और मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले गरीब परिवारों को हजारों का बिल थमाया गया है। ग्राम पंचायत मुजगहन निवासी दर्जनभर से ज्यादा गांववालों ने विजन न्यूज को बिल भी दिखाया।
जून महीन का बिजली बिल 8 जुलाई को जारी किया गया। कल्लूराम माहेश्वरी को 50 हजार, मंशाराम 44 हजार 350, जानीराम को 35,370, जीवराखन को 32 हजार 850, चंदूराम को 19 हजार 500, गंगेदेव राव को 11 हजार 940, इतवारी राम को 11 हजार 710, लुसेन कुमार माहेश्वरी को 13 हजार 490 रुपये सहित अन्य ग्रामीणों को भी हजारों का बिल जारी किया गया।
इतना ही नहीं, जिस जानीराम को जुलाई महीने का 35,370 रुपये का बिल थमाया गया है। उनका जून महीने का बिल 370 रुपये आया था। भारी भरकम बिल देखकर गांववालों के होश उड़ गए। उन्होंने इस मामले को लेकर सीधे सरपंच से संपर्क किया।
इस मामले में सरपंच ने विद्युत विभाग और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। वहीं ग्रामीणों ने सेजबहार विद्युत विभाग का घेराव भी किया, लेकिन बिल में सुधार नहीं किया गया है।
ग्राम पंचायत मुजगहन के सरपंच संदीप यदु ने बताया कि उनके गांव की आबादी 2100 के आसपास है। वहीं गांव में कुल घरों 350-400 के आसपास होंगे। गांव में अधिकांश लोग प्राय: खेती-किसानी और मजदूरी का काम करते हैं। भारी भरकम बिल को लेकर गांववासी काफी आक्रोशित हैं।
वहीं यदु ने यह भी बताया कि उनके गांव के साथ-साथ आसपास के दतरेंगा और कांदुल के ग्रामीणों का बिजली बिल एक लाख से 50 हजार तक आया है। इसे लेकर अपर कलेक्टर से भी मुलाकात भी की गई। इस पर अपर कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने एई एन.के.पी. चौधरी को तत्काल निराकरण के लिए निर्देशित किया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल (डीके) को बिजली विभाग ने इस महीने का बिल 1 करोड़ 7 लाख 20 हजार 570 रुपए का बिल जारी कर दिया है। बिजली का बिल पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डीन के नाम पर भिजवाया गया है।
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अशोक चंद्राकर इसे मंत्रालय के समय का बिजली बिल बता रहे हैं। वहीं अधीक्षक अभियंता रायपुर पी.के. खरे का कहना है कि जब तक मंत्रालय संचालित था, उनके बिजली बिल का भुगतान शासन द्वारा किया गया था।
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के अंतर्गत आने वाले सरायपाली ब्लॉक में एक कन्या छात्रावास को बिजली विभाग ने 64 करोड़ 5 लाख 91 हजार 620 रुपये का बिल थमा दिया था। इतना ही नहीं, मई महीने के इस बिल को 16 जुलाई तक अदा करना था, वरना एक करोड़ रुपये का अधिभार भी लगाया गया था।
वहीं विद्युत विभाग ने इसे टेक्निकल समस्या मानते हुए पुन: बिल सुधारकर 45 सौ रुपये का नया बिल जारी किया। इस संबंध में विद्युत विभाग सरायपाली के डीई से रंजीत कुमार ने इसे मशीनरी समस्या बताया। उनका कहना था कि तकनीकी समस्या के चलते बिल में गड़बड़ी हुई थी। बाद में इसे सुधारकर छात्रावास को दूसरा बिल जारी कर दिया गया था।