बीजिंग, 12 अगस्त (आईएएनएस/सिन्हुआ)। जापान के एक युद्ध अपराधी ने माना है कि चीन पर हमले के दौरान उसने और उसके साथी चिकित्सकों ने बंदी चीनियों पर घातक दवाओं का सीधे परीक्षण किया था, बिना बेहोश किए सीधे शरीर के अंगों को काट डालने वाला ऑपरेशन किया था। परीक्षण के बाद हत्या तक की थी।
बीजिंग, 12 अगस्त (आईएएनएस/सिन्हुआ)। जापान के एक युद्ध अपराधी ने माना है कि चीन पर हमले के दौरान उसने और उसके साथी चिकित्सकों ने बंदी चीनियों पर घातक दवाओं का सीधे परीक्षण किया था, बिना बेहोश किए सीधे शरीर के अंगों को काट डालने वाला ऑपरेशन किया था। परीक्षण के बाद हत्या तक की थी।
राज्य के अभिलेखागार प्रबंधन ने यह जानकारी दी है।
जापानी युद्धबंदी केन युआसा का 1954 में हाथ से लिखा बयान आनलाइन जारी हुआ है जिसमें उसने जापान द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के समय चीन के लोगों पर चिकित्सा के क्षेत्र में किए गए जुल्म का विवरण दिया है।
उसने लिखा है कि 1942 में शांक्सी के एक अस्पताल में एक चीनी बंदी के शरीर में एनेस्थेटिक का बड़ा डोज डाला गया और देखा गया कि इसके असर से वह मरता है या जिंदा रहता है।
उसने लिखा है कि एक अन्य बंदी पर भी उसने ऐसे ही प्रयोग किए और बाद में अपने एक सहयोगी की मदद से उसे गला घोंट कर मार दिया।
1942 के अगस्त में इसी तरह के एक प्रयोग में दस जापानी चिकित्सकों ने दो चीनी बंदियों की जान ले ली थी।
जापानी युद्ध अपराधियों के इस तरह के अब तक 31 इकरारनामे सामने आ चुके हैं। मंगलवार से इन्हें आनलाइन जारी किया जा रहा है। इनमें बताया गया है कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान ने जैविक और रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था।