कोलकाता, 18 सितम्बर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार को सार्वजनिक की गईं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गोपनीय फाइलें बताती हैं कि वह 1945 के बाद तक जिंदा थे और उनके परिवार की जासूसी की गई थी।
ममता ने संवाददाताओं से कहा कि इन फाइलों में ऐसे पत्र हैं, जिनसे नेताजी के सन 1945 के बाद जीवित होने और उनके घरवालों की जासूसी के प्रमाण मिलते हैं।
ममता ने कहा, “मैंने दस्तावेज देखे हैं। उनसे साफ है कि नेताजी के परिजनों की जासूसी की गई थी। संदेशों को बीच में सुना गया था।”
उन्होंने जासूसी के हवाले से कहा कि यह बहुत निराश करने वाला है कि आजादी मिलने के बाद नेताजी को सम्मान नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि कई पत्रों से पता चलता है कि अपने ‘लापता’ होने के बाद यानी 1945 के बाद नेताजी जीवित थे।
नेताजी से संबद्ध सार्वजनिक की गई 64 फाइलें सात डीवीडी में उपलब्ध हैं। मूल फाइलें कोलकाता के पुलिस संग्रहालय में रखी गई हैं। सोमवार से इन्हें आम लोग देख सकेंगे।
ममता ने कहा, “हर पन्ना महत्वपूर्ण है। इतिहासकारों और शोधार्थियों को इन फाइलों का बारीकी से अध्ययन करना चाहिए। हमें अपनी धरती के इस बहादुर और महान बेटे के बारे में सच्चाई जाननी ही चाहिए।”
ममता ने कहा कि केंद्र सरकार को भी नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक कर देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “सच्चाई को सामने आने देना चाहिए। अगर छिपाने के लिए कुछ है ही नहीं तो फिर केंद्र सरकार फाइलों को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है।”
22 अगस्त, 1945 को टोक्यो रेडियो ने ऐलान किया था कि नेताजी की फोरमोसा (आज का ताइवान) में 18 अगस्त, 1945 को हुए विमान हादसे में मौत हो गई है।
लेकिन, टोक्यो रेडियो की इस बात में विश्वास न करने वालों की संख्या हमेशा से बहुत ज्यादा रही है।
हाल ही में सार्वजनिक हुई केंद्रीय गृह मंत्रालय की फाइलों से खुलासा हुआ था कि तत्कालीन केंद्र सरकारों ने 1948 से लेकर 1968 तक नेताजी के घरवालों की जासूसी करवाई थी। इन सालों के दौरान जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी देश के प्रधानमंत्री पद पर रहे थे।