लखनऊ, 27 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में नए लोकायुक्त के चयन को लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच बढ़े टकराव के बीच रविवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में लखनऊ में उनके आवास पर बैठक हुई। बैठक में हालांकि कोई नतीजा नहीं निकल पाया।
मुख्यमंत्री के आवास 5, कालिदास मार्ग पर हुई इस बैठक में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और विधानसभा में विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी हिस्सा लिया।
सूत्रों की मानें तो मौजूदा लोकायुक्त संशोधन विधेयक लंबित होने की वजह से ही बैठक में कोई नतीजा नही निकल पाया। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने यह सलाह दी कि विधिक राय लेने के बाद इसको लेकर बैठक बाद में बुलाई जाए।
दरअसल, प्रदेश के वर्तमान लोकायुक्त न्यायमूर्ति एऩ क़े मेहरोत्रा का कार्यकाल 15 मार्च 2014 को ही पूरा हो गया था, तभी से लोकायुक्त का पद खाली है। ऐसे में इस पद पर नई नियुक्ति न होने से मेहरोत्रा ही कार्यभार देख रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार न्यायमूर्ति रवींद्र सिंह यादव को प्रदेश का नया लोकायुक्त बनाने पर अड़ी हुई थी। बताया जा रहा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए सरकार ने न्यायमूर्ति रवींद्र सिंह यादव की नियुक्ति के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगाकर इसकी संस्तुति के लिए राजभवन भेजा था। लेकिन अब राज्यपाल ने संस्तुति की पत्रावली को वापस सरकार के पास भेज दिया था।
राजभवन के कड़े रुख को देखते हुए राज्य सरकार ने नए पैनल के साथ बैठक बुलाई थी। इस पैनल में कई लोगों के नाम शामिल हुए हैं।
सूत्रों की मानें तो मुजफ्फरनगर दंगा आयोग के अध्यक्ष रह चुके सेवानिवृत्त न्यायाधीश विष्णु सहाय भी लोकायुक्त बनने की रेस में शामिल हैं।
उप्र में नए लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के कड़े रुख के बाद राज्य सरकार पर काफी दबाव है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई समय सीमा 21 अगस्त को पूरी हो जाएगी।