नई दिल्ली, 4 जनवरी (आईएएनएस)। क्रिकेट में सुधारों पर सिफारिश देने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर. एम. लोढ़ा की अध्यक्षता में गठित समिति ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय को सौंप दी, जिसमें सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता दिए जाने, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाने सहित देश के क्रिकेट प्रशासन में व्यापक सुधारों की सिफारिश की गई है।
लोढ़ा समिति ने वहीं आईपीएल के पूर्व मुख्य संचालन अधिकारी सुंदर रामन को आईपीएल-6 के स्पॉट फिक्सिंग एवं सट्टेबाजी मामले में क्लीन चिट दे दी है।
समिति ने यहां सोमवार को पत्रकारों से कहा, “सुंदर रामन के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले और विंदु दारा सिंह से भी वह परिचित नहीं पाए गए।”
प्रधान न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) आर. एम. लोढ़ा, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक भान, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर. वी. रवींद्रन की सदस्यता वाली समिति की 159 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में बीसीसीआई की 14 सदस्यीय वर्किं ग कमिटी की जगह एक सर्वोच्च परिषद गठित करने की सिफारिश भी की गई है।
लोढ़ा समिति की सिफारिशों में बीसीसीआई और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिए पृथक शासकीय निकाय गठित करने, बीसीसीआई को सूचना के अधिकार के तहत लाने, बोर्ड अधिकारियों की उम्र और कार्यकाल की सीमा तय करने, सट्टेबाजी पर कानून बनाने और एक राज्य एक सदस्य प्रणाली अपनाने की सिफारिशें शामिल हैं।
समिति ने बीसीसीआई के रोजमर्रा के कामों को देखने के लिए एक कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त करने की सिफारिश भी की है, जिसे छह पेशेवर प्रबंधकों का साथ हासिल हो।
समिति ने कहा है कि कार्यकारी अधिकारी और उसके छह सहायक नौ सदस्यीय सर्वोच्च परिषद के समक्ष जिम्मेदार हों तथा इस सर्वोच्च परिषद में पांच चुने हुए, खिलाड़ियों के संघ से दो प्रतिनिधि और एक महिला शामिल हों।
लोढ़ा समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चयन, प्रशिक्षण, प्रदर्शन के मूल्यांकन एवं अंपायरिंग पर निर्णय लेने के लिए गठित समितियों में सिर्फ पूर्व खिलाड़ियों को शामिल किया जाए।
समिति ने आईपीएल की स्वायत्तता को सीमित करने की सिफारिश देते हुए कहा है कि आईपीएल की गवर्निग काउंसिल के सदस्यों की संख्या घटाकर नौ की जाए, जिसमें बीसीसीआई के सचिव और कोषाध्यक्ष पदेन सदस्य होने चाहिए।
आईपीएल की इस गवर्निग काउंसिल में दो सदस्यों को पूर्ण सदस्यों द्वारा नामित किए जाने या चुने जाने की सिफारिश भी की गई है।
बाकी बचे पांच में से दो सदस्य फ्रेंचाइजी द्वारा नामांकित किए जाएं, एक सदस्य खिलाड़ियों के संघ का प्रतिनिधित्व करे (खिलाड़ी संघ को अभी गठन किया जाना है) जबकि एक सदस्य को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा नामांकित किया जाना चाहिए।
प्रशासनिक संरचना पर समिति ने कहा है कि बीसीसीआई में हर राज्य से एक ही सदस्य होना चाहिए। हर राज्य का एक संघ बीसीसीआई का पूर्ण सदस्य हो और उसे मत देने का अधिकार हासिल हो। बिना किसी क्षेत्र वाले सदस्य, जैसे रेलवे, सर्विसेज (सेना), सीसीआई, एनसीसी का दर्जा घटाकर संबद्ध सदस्य का कर दिया जाना चाहिए और इन्हें मत देने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
बीसीसीआई अधिकारियों पर अंकुश लगाते हुए समिति ने उनकी उम्र सीमा 70 वर्ष करने की सिफारिश की है, साथ ही कहा है कि किसी भी अधिकारी का कार्यकाल तीन बार से ज्यादा का नहीं होना चाहिए और प्रत्येक कार्यकाल के बीच ‘समीक्षा-अवधि’ भी होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति ने लोढ़ा ने यहां पत्रकारों से कहा, “प्रत्येक कार्यकाल के बीच तीन वर्ष की समीक्षा अवधि होनी चाहिए।”
लोढ़ा समिति ने खिलाड़ियों के हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत एजेंट पंजीकरण प्रणाली बनाने की भी बात कही है। समिति ने पूर्व खिलाड़ियों की संचालन समिति बनाने और इसमें पूर्व खिलाड़ी मोहिंदर अमनरनाथ, महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डायना इदुलजी और पूर्व दिग्गज लेग स्पिनर अनिल कुंबले को शामिल करने की बात कही है। यह समिति खिलाड़ियों के संघ बनाने के मुद्दे पर लोढ़ा समिति की रिपोर्ट के बिंदुओं के आधार पर बीसीसीआई से बात करे।
न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा कि समिति ने एक प्रश्नावली तैयार की थी और बीसीसीआई के कई अधिकारियों, भारतीय क्रिकेट के कई दिग्गजों, भारतीय टीम के पूर्व कप्तानों से बात कर इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया। इन लोगों में बिशन सिंह बेदी, कपिल देव, सौरभ गांगुली, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले शामिल हैं।