इस मामले में पुलिस को कई बार हाईकोर्ट में फटकार भी सुननी पड़ी थीं। करीब 15 दिन पहले पुलिस अधीक्षक को उच्च न्यायालय ने इसी प्रकरण पर व्यक्तिगत रूप से तलब किया था। उसके बाद से सक्रिय हुई पुलिस को पता चला कि हत्यारोपी को साधु वेश में रह रहा है।
खखरेरू थाना क्षेत्र के कुल्ली गांव का है। यहां वर्ष 1983 में उसने 19 वर्ष की आयु में किसी बात को लेकर उमाशंकर पांडेय ने अपने ही गांव के कृष्णकांत पांडेय की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी।
आरोपी पर घटना के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था। जनपद की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने वर्ष 1983 में ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उसके बाद हत्यारोपी उच्च न्यायालय से जमानत पर जेल से बाहर आया।
जमानत पर बाहर आने के बाद से वह फरार हो गया। इसके बाद कभी अदालत की ओर उसने अपना रुख ही नहीं किया। कुछ दिन बाद उसने साधु वेश धारण कर लिया और धाता थाना क्षेत्र के बिछियावां मंदिर में पुजारी बनकर रहने लगा। किसी को पता नहीं चला कि मंदिर का पुजारी हत्यारोपी है और पुलिस तथा अदालत से बचने के लिए उसने यह वेशभूषा धारण की है।
गौरतलब है कि करीब 15 दिन पूर्व पुलिस कप्तान को उच्च न्यायालय ने व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने के निर्देश दिया। इस पर पुलिस कप्तान कलानिधि नैथानी हाईकोर्ट के सामने पेश हुए, जहां उन्हें फटकार लगाई गई।
अदालत से आने के बाद एसपी ने हत्यारोपी को खोज निकालने के लिए खखरेरू थानाध्यक्ष समेत अन्य पुलिसकर्मियों को भी इस काम में लगाया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया।
खखरेरू पुलिस टीम कार्य की सराहना करते हुए पुलिस अधीक्षक नैथानी ने दो हजार रुपये का पुरस्कार देने की घोषण करते हुए पुलिस टीम की हौसला अफजाई की।