हरिद्वार। भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज ने कहा कि गंगा और गाय के साथ राम जन्म भूमि भी सनातन धर्म की रीढ़ है। इसलिए इन्हें संरक्षित करने के लिए देश के हर वर्ग के व्यक्ति को गंभीरता से इसकी रक्षा को आगे आना होगा।
इसी आशय से स्वामी सत्यमित्रानंद ने देश के प्रमुख संतों और विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंघल के साथ राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज ने दिल्ली से लौटकर भारत माता मंदिर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने और राम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर संत अब लंबी लड़ाई लड़ने के मूड में हैं। इसमें अब संत और विश्व हिंदू परिषद कोई चूक नहीं छोड़ना चाहते हैं। सरकार की इन कार्यो में भरपूर मदद मिल सके, इसके लिए भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज की अगुआई में संतों का एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मिला।
स्वामी सत्यमित्रानंद ने राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन में बताया कि राम जन्म भूमि और गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए संतों को सरकार की मदद की आवश्यकता है। बिना सरकार की सहायता के देश में किसी भी बड़ी योजना को क्रियान्वित नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से उत्तराखंड सहित अन्य प्रदेशों में संस्कृत की शिक्षा पर जोर देने की बात भी राष्ट्रपति के सामने रखी। उनके साथ वहां पर मौजूद विहिप के अशोक सिंघल ने भी राष्ट्रपति से कहा कि रामजन्म भूमि और गंगा प्रदूषण मुक्ति सनातन धर्म के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी कि एक मनुष्य के लिए प्राण। अत: इन प्राणों को बचाने के लिए उन्हें अब कोई बड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। स्वामी सत्यमित्रानंद ने बताया कि राष्ट्रपति ने उन्हें हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है।