पटना, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के दरभंगा जिले के पटौरी गांव के रहने वाले 48 वर्षीय मोहन चौधरी ने जीवन भर तिनका-तिनका जोड़कर घर में सामान इकट्ठा किया था, मगर सबकुछ जलकर राख हो गया। अब उन्हें उम्मीद भी नहीं है कि वे अब फिर से अपने जीवन की गाड़ी को पटरी पर ले आएंगे।
पटना, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के दरभंगा जिले के पटौरी गांव के रहने वाले 48 वर्षीय मोहन चौधरी ने जीवन भर तिनका-तिनका जोड़कर घर में सामान इकट्ठा किया था, मगर सबकुछ जलकर राख हो गया। अब उन्हें उम्मीद भी नहीं है कि वे अब फिर से अपने जीवन की गाड़ी को पटरी पर ले आएंगे।
चौधरी और उनकी पत्नी रेणु देवी की बेटी जूही की शादी 30 अप्रैल को होनी है। आग लगने की घटना में बेटी को देने के लिए 80,000 खर्च कर खरीदे गए सोने के गहने और कपड़े भी स्वाहा हो गए।
पिछले सप्ताह इस इलाके के हायाघाट प्रखंड के पटौरी, खपरपुरा, रामतौर गांव में हुए भीषण अग्निकांड में 1000 से ज्यादा परिवारों की झोपड़ियां जलकर राख हो गईं। अपने आशियाने और उसमें रखे सामान के जलने से इन सभी परिवारों की वे उम्मीदें भी क्षीण हो गईं जो उन्होंने भविष्य के लिए संजोई थी।
अग्निकांड में पटौरी के सूर्यकांत चौधरी का भी आशियाना छिन गया। सूर्यकांत के परिवार समेत कई ऐसे परिवार हैं, जिनकी रात अब भी खुले आसामान तले बीत रही है और दिन की दुपहरी में तपिश से बचने के लिए ये परिवार नन्हे बच्चों के साथ किसी सरकारी भवन के बरामदे में पनाह लिए हुआ है।
यह हाल सिर्फ दरभंगा जिले के इन गांवों का नहीं है। गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ बिहार में आग लगने की घटनाओं में बेतहाशा वृिद्ध हुई है। राज्य के कमाबेश सभी जिले में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
बिहार के विभिन्न जिलों में 24 अप्रैल को एक दिन में आग लगने की घटनाओं में 2,500 से अधिक घर जलकर राख हो गए थे, जबकि सात बच्चों समेत 18 लोगों की मौत हो गई। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, राज्य में गर्मी के इस मौसम में आग लगने की घटनाओं में अब तक 55 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
बिहार में गर्मी के दिनों में आग लगने की घटनाएं कोई नई नहीं हैं, लेकिन सरकार ने इन अग्निकांडों से अब तक कोई सबक नहीं लिया है।
अनुमान लगाया गया है कि पिछले चार वर्षो में बिहार में अग्निकांडों से करीब 50 अरब रुपये की संपत्ति बर्बाद हुई है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले वर्ष 7,000 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हुई थीं, जिनमें 107 लोगों की मौत हुई थी।
इस वर्ष राज्य में मार्च और अप्रैल महीने में 3000 से अधिक आग लगने की घटनाएं हुई हैं, जिसमें 55 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और कई पालतू पशुओं की भी जान चली गई है।
राज्य के होमगार्ड और अग्निशमन विभाग के पुलिस महानिदेशक पी़ एऩ राय कहते हैं कि कई घटनाओं की सूचना सही समय पर दमकल दस्ते को मिल जाने से लाखों रुपये की संपत्ति बच जाती है।
वह कहते हैं कि आग लगने की घटनाओं पर लगातार नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि संवेदनशील जिलों की सूची तैयार की गई है और उसी के आधार पर दमकल की गाड़ियों को भेजा गया है।
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव व्यास जी कहते हैं कि पीड़ित परिवारों को सरकार तत्काल मुआवजा उपलब्ध कराती है। पीड़ित परिवार को बर्तन, कपड़ा और अनाज के लिए तत्काल राशि उपलब्ध कराई जाती है, जबकि मृतक के परिजनों को उसके अंतिम संस्कार के लिए भी मदद की जाती है।
बहरहाल, अधिकारी भले ही पीड़ित परिवारों तक पहुंच रहे हों और उन तक मदद भी दी जा रही है, लेकिन उन पीड़ितों के जीवन भर की कमाई से जुटी वे वस्तुएं वापस नहीं आ पाएंगी, जिनसे उनकी भावनाएं जुड़ी थीं।