Sunday , 28 April 2024

Home » भारत » क्या छन्नूलाल मिश्र बनेंगे नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक ? चल रहे नाराज

क्या छन्नूलाल मिश्र बनेंगे नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक ? चल रहे नाराज

March 14, 2019 11:13 am by: Category: भारत Comments Off on क्या छन्नूलाल मिश्र बनेंगे नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक ? चल रहे नाराज A+ / A-

नई दिल्ली:

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक पं. छन्नूलाल मिश्र केंद्र और राज्य की मौजूदा सरकारों की उपेक्षा से काफी व्यथित हैं. वह सुनिश्चित नहीं है कि इस बार  नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक बनेंगे या नहीं. मिश्र 2014 के चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रहे थे और स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त नवरत्नों में से एक हैं. मिश्र ने बुधवार को कहा है कि उनकी उम्र का वाराणसी में अब कोई शास्त्रीय गायक नहीं है, जो अभी भी संगीत के लिए पूरी तरह समर्पित है, लेकिन पूरा जीवन संगीत के लिए समर्पित करने के बावजूद केंद्र और राज्य की मौजूदा सरकारों ने उन्हें वह सम्मान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था.

छन्नूलाल मिश्र (83) स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नियुक्त नवरत्नों में से एक हैं. उन्हें और वाराणसी के लोगों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें भारत रत्न मिल सकता है, लेकिन जब पुरस्कारों की घोषणा हुई तो उनका नाम न तो भारत रत्न की सूची में था, और न पद्मविभूषण की सूची में ही.छन्नूलाल भावुक मन से कहते हैं, “लोगों को लगता है कि मैं इन पुरस्कारों के लायक हूं, लेकिन देने वालों को नहीं लगा तो मुझे इसकी कोई इच्छा भी नहीं है. मेरी एक मात्र इच्छा मेरा संगीत और मेरा गायन है।  उनका एक शेर है -‘इलाही कोई तमन्ना नहीं इस जमाने में, मैंने सारी उम्र गुजारी है अपने गाने में’.”

पंडित छन्नूलाल मिश्र   ठुमरी के लब्धप्रतिष्ठ गायक हैं। वे किराना घराना और बनारस गायकी के मुख्‍य गायक हैं। उन्‍हें खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए जाना जाता है।

 

क्या छन्नूलाल मिश्र बनेंगे नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक ? चल रहे नाराज Reviewed by on . नई दिल्ली: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक पं. छन्नूलाल मिश्र केंद्र और राज्य की मौजूदा सरकारों की उपेक्षा से काफी व्यथित हैं. वह सुनिश्चित नहीं है नई दिल्ली: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक पं. छन्नूलाल मिश्र केंद्र और राज्य की मौजूदा सरकारों की उपेक्षा से काफी व्यथित हैं. वह सुनिश्चित नहीं है Rating: 0
scroll to top