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त्वरित टिपण्णी-नरेंद्र सलूजा क्या सिख नर-संहार के मुद्दे से आहत हो कांग्रेस से बाहर गए या बात कुछ और है

November 25, 2022 1:27 pm by: Category: सम्पादकीय Comments Off on त्वरित टिपण्णी-नरेंद्र सलूजा क्या सिख नर-संहार के मुद्दे से आहत हो कांग्रेस से बाहर गए या बात कुछ और है A+ / A-

अनिल कुमार सिंह

नरेंद्र सलूजा के द्वारा भाजपा में शामिल होना किसी आश्चर्य का विषय रहा,दरअसल यह संभावना पूर्व से ही जताई जा रही थी,चूंकि कांग्रेस की ख़बरें जुटाने के दौरान हम बराबर नरेंद्र सलूजा से मिलते रहे थे इस वजह से उनकी राजनैतिक महत्वाकांक्षा एवं कमजोरियों एवं परेशानियों से वाकिफ थे.

नरेंद्र सलूजा चूंकि जमीनी नेता नहीं थे वे सोशल मीडिया पर पार्टी का पक्ष अपनी तरफ से रखते थे और कई दफे पार्टी अध्यक्ष भी उनकी बातों से सहमत नहीं रहते थे लेकिन कांग्रेसी कार्यप्रणाली के चलते सलूजा जी को मुक्त-हस्त प्राप्त था और वे पत्रकारों और नेताओं के बीच मशहूर भी थे.

कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही सलूजा जी पर इंदौर में कुछ आर्थिक आरोप लगे और अय्यारों के अनुसार कुछ जगह सलूजा जी को पैसे वापस भी करने पड़े.

नरेंद्र सलूजा वर्तमान पारी में मीडिया विभाग के मुखिया बनना चाहते थे लेकिन कमलनाथ द्वारा के के मिश्रा को वह पद देने के बाद सलूजा जी ने इसे अपनी तौहीन माना वहीँ इनके बराबर उपाध्यक्ष पद पर संगीता शर्मा को बैठा दिया गया यह विषय भी बहुत दिनों तक चर्चा में रहा.

सलूजा जी पार्टी और कमलनाथ दरबार में अपने कद को छोटा होता देख कसमसा रहे थे,सलूजा जी मीडिया विभाग में बिलकुल अलग-थलग पड़ चुके थे,जहाँ सलूजा जी का पूरा परिवार भाजपा का राजनैतिक समर्थक है अकेले सलूजा जी कमलनाथ के कारण कांग्रेस का झंडा उठाये हुए थे कई दफे चर्चा में हम सबने कहा भी की सलूजा जी आप जल्दी ही भाजपा में चले जाएंगे लेकिन उन्होंने पुरजोर खंडन करते हुए कहा मैं कमलनाथ का सिपाही हूँ उनके साथ ही रहूँगा,
हमने कई दफे उनसे सिख नर-संहार की घटना की भी चर्चा की लेकिन सलूजा जी ने कमलनाथ को इस घटना से बेदाग़ बताया।

अतः यह कहना ही सही होगा की अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने नरेंद्र सलूजा ने भाजपा में प्रवेश किया न की सिख नरसंहार की घटना को सबब लेते हुए,वे इतने बच्चे भी नहीं की कांग्रेस में कमतर कद होने के बाद उन्हें सिखों की याद आयी हो.वहीँ भाजपा ने सलूजा को साथ ले कमलनाथ पर बड़ा हमला करने का प्रयास किया है जो पहले भी हो चुका है वहीँ सलूजा अपना स्थान बचाने भाजपा की कठपुतली कब बन गए वे ही नहीं जान पाए,अब सलूजा को क्या राजनैतिक उड़ान मिल पाएगी या और नीचे जा गिरेंगे यह समय ही बताएगा लेकिन एक बात तो तय है सलूजा ने अपनी राजनैतिक जीवन में बड़ा धब्बा स्वयं अपने ऊपर लगा लिया है,उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनायें

 

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