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देशद्रोह से बड़ा कोई जुर्म नहीं , पुलवामा अटैक देश पर बड़ा धब्बा ,क्या हो पाएगी जांच ?

April 22, 2023 8:16 pm by: Category: सम्पादकीय Comments Off on देशद्रोह से बड़ा कोई जुर्म नहीं , पुलवामा अटैक देश पर बड़ा धब्बा ,क्या हो पाएगी जांच ? A+ / A-

पुलवामा अटैक पर सवाल उठाये गए,लेकिन सत्ताधारी दल भाजपा की टीम ने उस हमले पर सवाल उठाने वालों को देशद्रोही करार दे दिया,मप्र के राजनेता दिग्विजय सिंह ने जब इस मामले को उठाया तब भाजपा की सोशल मीडिया टीम और नेताओं ने उन्हें क्या नहीं कहा,देशद्रोही करार दे दिया,पुलवामा अटैक अपने जवानों की ह्त्या में सीधे सत्ताधारी दल एवं उसके अगुआ नेताओं की साजिश के इशारे करता है,राष्ट्रहित एवं उसकी सुरक्षा से बड़ा कुछ भी नहीं ,जब से भाजपा के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मालिक ने इस हमले की सच्चाई को लेकर खुलासा किया है तब से पुनः इस मामले की सच्चाई सामने लाने की मांग उठने लगी है,अब शहीद जवानों के परिवारवाले भी खुल कर सामने आ गए हैं,सत्यपाल मलिक ने भाजपा दल में व्याप्त,कमीशनखोरी एवं अन्य अनैतिक बुराईयों का भी खुलासा किया है जिससे भाजपा हमेशा परहेज रखने का दावा करती रही है.

नई दिल्ली: हाल ही में द वायर के साथ किए एक साक्षात्कार के दौरान जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा किए गए चौंकाने वाले खुलासे के मद्देनजर 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में जान गंवाने वाले 40 सैनिकों में से कुछ के परिवार के सदस्य उस घटना की जांच की मांग कर रहे हैं.

मारे गए सैनिकों में से एक भागीरथ के पिता परशुराम ने बयान दिया है कि 14 फरवरी 2019 के दुर्भाग्यपूर्ण दिन के बाद से कई सवाल उन्हें परेशान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मलिक के खुलासे से उनके इस विश्वास की पुष्टि होती है कि पुलवामा हमला ‘सरकार द्वारा रचा गया एक राजनीतिक स्टंट’ था.

करण थापर के साथ मलिक के साक्षात्कार के बाद विपक्ष ने खुफिया विफलता के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब की मांग को फिर से शुरू कर दिया है.

मलिक ने कहा था कि पुलवामा आतंकी हमला केवल मोदी सरकार की ‘अक्षमता और लापरवाही‘ के कारण हुआ और जानें बचाई जा सकती थीं, अगर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सैनिकों को विमान से पहुंचाया होता, जिसके लिए सेना ने अनुरोध किया था.

पूर्व राज्यपाल ने यह भी कहा था कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा था कि उनकी सरकार की ‘अक्षमता’ से जानें चली गई हैं, तो उन्हें ‘चुप’ रहने के लिए कहा गया था. घटना के समय मलिक जम्मू कश्मीर के राज्यपाल थे, जो उस समय राष्ट्रपति शासन के अधीन था.

इस बीच, बुधवार सुबह द टेलीग्राफ ने भी हमले में शहीद हो गए दो सीआरपीएफ जवानों के परिवार के सदस्यों का साक्षात्कार किया है, जो मूल रूप से बंगाल के थे. सुदीप विश्वास नादिया जिले के तेहट्टा के रहने वाले थे और बबलू संतरा हावड़ा के बौरिया के रहने वाले थे.

सुदीप के पिता सन्यासी विश्वास ने अखबार को बताया, ‘इन चार सालों में मैंने सुरक्षा इंतजामों में चूक के बारे में बहुत कुछ सुना है. लेकिन अभी तक कुछ भी निश्चित रूप से सामने नहीं आया है.’ 98 बटालियन में शामिल सुदीप की 28 साल की उम्र में मौत हो गई थी.

सुदीप की बहन झुंपा ने कहा, ‘केंद्र को अपनी सफाई सामने रखना चाहिए. लेकिन हमारे लिए इसका कोई अर्थ नहीं है, यह केवल मुझे अपने भाई को खोने की याद दिलाता है.’

बबलू की 71 वर्षीय मां बोनोमाला संतरा और उनकी 36 वर्षीय पत्नी मीता ने अखबार को बताया कि हालांकि वे सच जानना चाहते हैं, लेकिन इससे कुछ नहीं बदलेगा. बबलू की एक 10 साल की बेटी भी है.

मीता ने आगे कहा, ‘भारी बर्फबारी के कारण सेना की आवाजाही निलंबित कर दी गई थी; इस फैसले को खारिज करने का आदेश मेरे लिए एक रहस्य बना हुआ है.’

उल्लेखनीय है कि मलिक के बयान के बाद भारतीय सेना के एक पूर्व प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी ने भी कहा कि सैनिकों की मौत का दोष प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार पर है. उन्होंने द टेलीग्राफ से कहा था कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, दोनों को उस खुफिया विफलता की जिम्मेदारी लेनी चाहिए जिसके कारण यह घटना हुई.

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