नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा आतंक वित्तपोषण मामले में कश्मीर व्यापारी जहूर अहमद शाह वटाली को जमानत दिए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश पर रोक लगा दी।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर 26 सितम्बर को सुनवाई करेगी।
न्यायालय ने यह आदेश राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया जिसमें एनआईए ने कहा है कि न्यायालय ने वटाली के विरुद्ध सबूत को नजरअंदाज किया।
एनआईए की तरफ से पेश महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल ने न्यायालय से कहा कि व्यापारी के विरुद्ध ‘काफी गंभीर आरोप’ हैं और उसे जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
एजेंसी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वटाली के अकाउंटेंट के परिसर से बरामद दस्तावेज से पता चला था कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन ओर पाकिस्तान उच्चायोग से राशि ली गई थी जिसे आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए हुर्रियत नेताओं में वितरित किया गया था।
एनआईए ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वटाली के हस्ताक्षर के फोरेंसिक विश्लेषण से उसकी संलिप्तता का पता चलता है, लेकिन उच्च न्यायालय ने इन दस्तावेजों को ‘कागज का टुकड़ा’ समझकर नजरअंदाज कर दिया।
वटाली की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल 75 वर्ष का है और कई महीनों से जेल में है। एनआईए के पास उसके खिलाफ केस करने का कोई आधार नहीं है।
वटाली को 17 अगस्त 2017 को गिरफ्तार किया गया था और एनआईए ने 18 जनवरी को सैयद सलाहुद्दीन व सात अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओं व अन्य के साथ उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।