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तपेदिक के उन्मूलन में कोताही क्यों?

नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक तपेदिक (टीबी) पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में संकेत दिया है कि कई देश 2030 तक टीबी के उन्मूलन के लिए अभी भी पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं। पिछले वर्ष टीबी से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आने के बावजूद, इसका उन्मूलन एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।

वैश्विक निकाय ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अभूतपूर्व आंदोलन की वकालत करते हुए लगभग 50 राष्ट्राध्यक्षों से निर्णायक कार्रवाई का आग्रह किया है।

पहचान, निदान और उपचार दरों में तत्काल सुधार करने के लिए, डब्ल्यूएचओ और भागीदारों ने 2022 तक टीबी वाले 4 करोड़ लोगों को गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने के लक्ष्य को निर्धारित करने के लिए एक नई पहल शुरू की है। यह अनुमान लगाया गया है कि कम से कम 3 करोड़ लोगों को इस अवधि के दौरान टीबी निवारक उपचार तक पहुंचने में सक्षम होना चाहिए।

हेल्थ केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, “टीबी एक रोकथाम योग्य और इलाज योग्य बीमारी है। हालांकि, टीबी की देखभाल में प्रगति के बावजूद, भारत में टीबी एवं एमडीआर टीबी रोगियों का सबसे ज्यादा बोझ है और यह वैश्विक टीबी बोझ का लगभग एक चैथाई है।

उन्होंने कहा कि अनुमानित रूप से 1.3 लाख केस मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी टीबी रोगी हर साल भारत में उभरते हैं, जिसमें 79000 एमडीआर-टीबी मरीज शामिल हैं। भारत को शीर्ष तीन देशों में से एक होने का संदिग्ध गौरव प्राप्त है, जहां अनुमानित टीबी मामलों और रिपोर्ट किए गए मामलों के बीच का अंतर 25 प्रतिशत अधिक है। टीबी और रिपोर्ट किए गए मामलों में यह व्यापक अंतर ‘जीटीएन’ की आईएमए एंड टीबी रणनीति को हाइलाइट करता है, जहां जी का अर्थ है- जीन एक्सपर्ट टेस्ट (स्पुटम डायगनोसिस), टी फॉर ट्रेस (संपर्क) व ट्रीटमेंट तथा एन का अर्थ है नोटिफाई।”

भारत ने टीबी से मुक्त होने के लिए 2025 की समय सीमा निर्धारित की है। हालांकि टीबी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए एक मिलाजुला प्रयास है, जबकि टीबी के नियंत्रण में डॉक्टर प्रमुख हितधारक हैं। टीबी का नियंत्रण प्रारंभिक पहचान पर निर्भर करता है, जिसका अर्थ है टीबी को आगे फैलने से रोकने के लिए प्रारंभिक और बेहतर उपचार। ट्रेसिंग रोग के संचरण की श्रृंखला को मामलों के शुरुआती निदान के साथ-साथ समय पर और पूर्ण उपचार से बाधित करता है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा, “संक्रामक टीबी वाले मरीजों के सभी घरों और घनिष्ठ संपर्कों का पता लगाया जाना चाहिए। यदि टीबी होने पर एटीटी के पूर्ण कोर्स के साथ जांच होती है और उनका इलाज किया जाना चाहिए। हम में से अधिकांश डॉक्टर नियमित रूप से टीबी के कई रोगियों का इलाज करते हैं।

उन्होंेने कहा, “हमें अब जीटीएन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरानी चाहिए और हमें उसकी सूचना देनी चाहिए। अपने आप से पूछें, आपने कितने जीनएक्सपर्ट परीक्षणों का आदेश दिया है..आपने कितने संपर्कों का पता लगाया है और टीबी के लिए स्क्रीनिंग की है..और आपने कितने टीबी रोगियों को नोटिफाई किया है? यदि आपने ऐसा पहले नहीं किया तो आज भी आप अधिसूचित कर सकते हैं। उसी दिन सूचित करना जरूरी नहीं है जब आप रोगी में टीबी पाते हैं।”

मेडटॉक्स के एक वीडियो में डॉ. अग्रवाल ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा आपातकाल के रूप में एमडीआर-टीबी के बारे में जानकारी दी है। वह कहते हंै कि पूरा देश ‘एंजिना’ की स्थिति में आने वाले ‘टीबी अटैक’ के साथ है। जीटीएन (ग्लिसरील ट्रिन्रिटेट) का उपयोग एंजिना से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है और व्यायाम से पहले दिल का अनुमानित दौरा रोकने के लिए किया जाता है। टीबी हमले को रोकने के लिए एक समान ‘जीटीएन’ की जरूरत है।

उन्होंेने कहा कि मेडटॉक्स एक नि:शुल्क और पूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की जानकारी देने वाला रोगी शिक्षा मंच है। यह डॉक्टरों, पैरामेडिक्स, नर्स, संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल कार्मिकों और मरीजों सहित हितधारकों को निरंतर चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) प्रदान करता है।

टीबी संक्रमण रोकने के लिए एचसीएफआई के कुछ सुझाव :

* छींकने, खांसने या मुंह या नाक छूने के बाद अपने हाथ धोएं।

* खांसने, छींकने या हंसते समय अपने मुंह को टिश्यू से ढकें।

* प्लास्टिक के थैले में इस्तेमाल किए हुए टिश्यू रखकर सील करें और फेंक दें।

* बीमारी के दौरान कार्यस्थल या स्कूल न जाएं।

* दूसरों के साथ घनिष्ठ संपर्क से बचें।

* परिवार के सदस्यों से दूर किसी दूसरे कमरे में सोएं।

* नियमित रूप से अपने कमरे को वेंटिलेट करें। टीबी छोटी और बंद जगहों में फैलता है। बैक्टीरिया युक्त हवा को हटाने के लिए खिड़की में एग्जहॉस्ट फैन लगाएं।

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