नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत ने मंगलवार को अमेरिका से एच1-बी वीजा जारी करने के सख्त मानदंडों को लेकर अपनी चिंताओं को एक फिर दोहराया है। इस वीजा का भारतीय आईटी कंपनियां प्रमुख रूप से इस्तेमाल करती हैं।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अमेरिकी कांग्रेस की विज्ञान, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी समिति के प्रतिनिधिमंडल के समक्ष भारत की चिंताओं को रखा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने सुषमा स्वराज और हाउस कमेटी के 9 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष लामार स्मिथ के बीच हुई बैठक की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, “विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एच1बी वीजा मामले पर देश की चिंताओं को जाहिर किया तथा इस पर कांग्रेस के समर्थन की मांग की।”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच1-बी वीजा जारी करने के लिए सख्त मानदंड लागू करने की बात कही है, जिसका मुख्य रूप से भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा फायदा उठाया जाता है। इस वर्ष की शुरुआत में अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेट सांसद जो. लोफग्रेन ने एक निजी विधेयक पेश किया था, जिसमें एच1-बी वीजा धारक के लिए मौजूदा न्यूनतम वेतन 60,000 डॉलर को बढ़ाकर 1,30,000 डॉलर करने का प्रस्ताव है।
सुषमा स्वराज ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर एक बैठक के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री रॉक्स टिलरसन के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ की अपनी नीति के तहत एच1-बी वीजा प्रणाली पर सख्ती करने की बात कही है, हालांकि अभी तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस साल 65,000 सामान्य एच1-बी वीजा जारी किए जाएंगे तथा एडवांस अमेरिकी डिग्री रखनेवालों को 20,000 एच1-बी वीजा जारी किए जाएंगे।