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रालोसपा के राजग से निकलने पर पार्टी में टूट तय

पटना, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने की घोषणा के बाद बिहार में जहां सियासी गणित बदलने की पूरी संभावना है, वहीं रालोसपा में भी टूट तय माना जा रहा है। कुशवाहा के राजग से अलग होते ही बिहार में रालोसपा के दो विधायकों ने अध्यक्ष के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है।

पटना, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने की घोषणा के बाद बिहार में जहां सियासी गणित बदलने की पूरी संभावना है, वहीं रालोसपा में भी टूट तय माना जा रहा है। कुशवाहा के राजग से अलग होते ही बिहार में रालोसपा के दो विधायकों ने अध्यक्ष के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है।

रालोसपा के दोनों विधायक हरलाखी से सुधांशु रंजन और चेनारी से ललन पासवान ने राजग से अलग होने की अध्यक्ष के घोषणा के बाद कहा कि वे राजग में रहकर विधानसभा पहुंचे हैं और वे आज भी राजग में हैं।

सुधांशु कहते हैं कि उन्हें तो पार्टी पिछले कुछ दिनों से किसी बैठक तक की सूचना नहीं दे रही है। वे कहते हैं कि आखिर राजग को छोड़कर वह अपने क्षेत्र में जनता को क्या मुंह दिखलाएंगे। जद (यू) में जाने के संबंध में उन्होंने खुलकर तो कुछ नहीं कहा। उन्होंने बस इतना कहा, “मैं राजग हूं और राजग में रहूंगा।”

विधायक ललन पासवान तो खुद को रालोसपा का विधायक और आज भी खुद को राजग के साथ बताया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बिहार में रालोसपा के दो विधायक हैं और रालोसपा के कार्यकर्ता हैं, जब वे राजग में हैं, तो केवल कुशवाहा के कहने से रालोसपा राजग से अलग थोड़े हो जाएगी।

इधर, रालोसपा के उपाध्यक्ष भगवान कुशवाहा भी पार्टी अध्यक्ष कुश्वाहा के इस कदम की खुल कर आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रालोसपा प्रारंभ से ही राजग के साथ है। कुशवाहा को राजग में प्रतिष्ठा नहीं देने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “राजग में धक्का-मुक्की कर भी रहना चाहिए। यह समाज की बात है। समाज के लोग कभी भी राजग से अलग नहीं जा सकते।”

उन्होंने स्पष्ट कहा, “मैं भी रालोसपा के साथ इस कारण जुटा था कि अध्यक्ष ने कहा कि रालोसपा राजग में है और उसके साथ रहेगी। आज अध्यक्ष के निर्णय से कई कार्यकर्ताओं, नेताओं के सामने दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गई हैं।”

इन बयानों के बाद इतना तय माना जा रहा है कि बिहार में रालोसपा में टूट तय है।

इधर, कुशवाहा के राजग से अलग होने का मुख्य कारण लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को तरजीह नहीं दिया जाना माना जा रहा है। पूर्व में कुशवाहा ने इस मामले को लेकर सार्वजनिक रूप से भी कह चुके हैं कि उन्हें राजग में सम्मान नहीं दिया जा रहा है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम का इंतजार किए बिना इस्तीफा देकर कुशवाहा ने निश्चित रूप से इस बात का संकेत दिया है कि लोकसभा चुनाव और उसके बाद बिहार के विधानसभा चुनावों में वो अब राजग के साथ ही नहीं, बल्कि नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने के अपने लक्ष्य पर काम करते दिखेंगे।

पिछले दिनों मोतिहारी में आयोजित पार्टी के खुले अधिवेशन में कुशवाहा ने इसके संकेत भी दे दिए थे।

वैसे, राजग से रालोसपा के बाहर आने के बाद कुशवाहा ने अपनी भविष्य की योजना का खुलासा तो नहीं किया है, मगर इतना तो तय माना जा रहा है कि वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से वर्ष 2019 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव में राजनीतिक फिजा बदली होगी।

इधर, बिहार की राजनीति के जानकार सुरेंद्र किशोर भी मानते हैं कि किसी एक सदस्य को भी घर छोड़कर जाने का नुकसान तो घर को उठाना ही पड़ता है। वैसे, घर से जाने वाले कुश्वाहा भी निश्चितता को छोड़कर अनिश्चितता की ओर चले गए हैं। यही कारण है कि वे भी अभी भविष्य की योजनाओं का खुलासा नहीं कर पा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “यह भी तय है कि कुशवाहा के इस निर्णय का उनकी पार्टी को भी नुकसान उठाना पड़ेगा। वैसे, किसे कितना लाभ होगा और किसे कितना नुकसान उठाना पड़ेगा, इसका आकलन करना अभी जल्दबाजी है, लेकिन बिहार की राजनीति में बदलाव होगा, यह तय है।”

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