(भोपाल)– मप्र में कांग्रेस के पिछले एक दशक से अधिक के बदहाल दिनों से उबरने की कोशिश से उसके मठाधीश ही नाराज हैं. आगामी चुनाव आने में लगभग दो वर्ष का समय है और सत्तारूढ़ भाजपा अभी से चुनावी तैयारियों में जुट गयी है .कांग्रेस के आलाकमान ने अपने रणनीतिकारों के साथ बनायी रणनीति अनुसार यह तय किया की मप्र के आगामी चुनावों में कांग्रेस को एक चेहरा जो मुख्यमंत्री के रूप में हो जनता के समक्ष प्रस्तुत करना होगा एवं वह चेहरा ऐसा हो जो दल में भी सर्वमान्य हो.
आलाकमान ने करवाया था आतंरिक सर्वे
इस हेतु कांग्रेस के रणनीतिकारों ने पिछले छह महीनो तक करवाए गए आंतरिक सर्वे में यह फीडबेक पाया की लगभग नब्बे प्रतिशत कार्यकर्ता ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगामी लीडर चेहरे के रूप में मान्यता देने का मन बना चुके हैं .इस सर्वे में मप्र की स्थिति को देखते हुए रणनीतिकारों ने यह योजना बनायी.
दिग्विजय सिंह हैं सबसे बड़ा रोड़ा
ज्योतिरादित्य मप्र में कांग्रेस का चेहरा न बन पायें इस हेतु मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मुख्य अवरोध खडा कर रहे हैं .पूर्व के चुनावों में कांग्रेस की बड़ी हार के पीछे मुख्य कारण राजनीतिकार दिग्विजय सिंह को ही बताते हैं .सूत्रों का कहना है की दिग्विजय सिंह मप्र की राजनीतिक विरासत को अपने अलावा किसी अन्य हाथों में नहीं जाने देना चाहते हैं भले ही वह भाजपा के हाथों में रहे .ज्यों ही अखबारों के माध्यम से या खबर छपी या छपवाई गयी दिग्विजय समर्थित खेमा विरोध में सक्रीय हो गया.दिग्विजय सिंह ने अपने राजनैतिक निर्वासन के बाद वे कार्य किये जिनसे उनकी व्यक्तिगत छवि पर असर पड़ा एवं कांग्रेस को यह नुकसानदायी प्रतीत हो रहा है .अब कांग्रेस किसी भी प्रकार का दांव चुनाव में खेलना नहीं चाहती .दिग्विजय सिंह ने इसी हताशा के चलते अरुण यादव को पत्र लिखा था की उनकी सलाह चाहें तो कार्यसमिति में वे रख सकते हैं .दिग्विजय की घटती लोकप्रियता ने उन्हें अब उद्वेलित कर यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है.
ज्योतिरादित्य की पूर्व क्रियाशैली को सामने ला विरोध प्रदर्शन
सिंधिया जब अपने पिता के संरक्षण में राजनीती को अपने जीवन में आता देख रहे थे तब उनकी परवरिश और दिनचर्या अनुसार वे जनमानस से बहुत दूर थे,उनकी दिनचर्या ऐसी थी की वे जनता को समय नहीं देते थे लेकिन समय बदला,परिस्थितियां बदलीं और सिंधिया का मानस बदला वे राजनीती में सक्रीय हो गए.जनता से नजदीकियां बढ़ते देख कांग्रेस के रणनीतिकारों का ध्यान मप्र में इस युवा चेहरे पर गया और छह महीने के मंथन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा सामने आया.
अरुण यादव अध्यक्ष बने रहेंगे
सूत्रों ने बताया की मप्र कांग्रेस अध्यक्ष की कमान अरुण यादव के हाथों में ही रखी जायेगी,उनके कार्य से आलाकमान संतुष्ट है एवं आलाकमान अरुण यादव की इतने दिनों की मेहनत का लाभ पार्टी को देना चाहती है .आलाकम्मान का मानना है की अरुण यादव ने इन विपरीत परिस्थितियों में भी अपना कार्य बखूबी किया है इसलिए उन्हें नहीं बदला जाएगा.