नई दिल्ली, 7 फरवरी (आईएएनएस)। इस साल नेशनल डीवॉर्मिग डे (राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस) पूरे देश में मनाया जाएगा। परजीवी संक्रमण से बचाने की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की इस मुहिम का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वागत किया है। एसोसिएशन 10 फरवरी को इस मुहिम में अपना सहयोग देगा।
पिछले साल 10 फरवरी, 2015 को 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जिसमें हरियाणा, असम, बिहार, छत्तीसगढ़ और दादरा नगर हवेली शामिल हैं, में नेशनल डीवॉर्मिग डे मनाया गया था।
आईएमए के बयान के मुताबिक, अमेरिका में किए गए एक हालिया शोध में कीटों के संक्रमण का साक्षरता पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पता चला है। इससे साक्षरता का स्तर 13 प्रतिशत तक कम हो जाता है और आगे चल कर उनकी आमदनी में 43 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है। पश्चिमी अफ्रीका में किए गए शोध में पाया गया कि स्कूल स्तर पर चलाए जाने वाले डीवॉर्मिग कार्यक्रम में बच्चों की अनुपस्थिति में 25 प्रतिशत तक की कमी आई।
भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की 2012 की एक रपट ‘चिल्ड्रन इन इंडिया’ के मुताबिक, पांच साल से कम उम्र के 19.8 प्रतिशत बच्चों को इससे नुकसान पहुंचता है और उनमें से 48 प्रतिशत कुपोषित होते हैं। इससे पता चलता है कि देश के बच्चों की आधी आबादी कुपोषण की शिकार है।
बयान के अनुसार, पिछले साल इस कार्यक्रम के तहत 10 करोड़ बच्चों को शामिल किया गया था। इन बच्चों को तीन दिन तक चबाने वाली एल्बेन्डाजोल की गोलियां दी गईं थीं। इस साल एक वर्ष से 19 साल तक के बच्चों को सरकारी और निजी स्कूलों के जरिए दवा दी जाएगी।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि कि आईएमए सरकार को इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन में मदद दे रहा है और अपने सभी ढाई लाख सदस्यों से अपील करता है कि वह संदेश को दूर दूर तक फैलाए। इससे हर कोई इस संक्रमण को फैलने से रोकने में अपना योगदान दे सकेगा।
मौजूदा दौर में इस मुसीबत के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए भारत को अथक प्रयास करने होंगे, ताकि युवकों को इस परजीवी के संक्रमण से बचाया जा सके।